प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत गणराज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य के डिजिटल परिवर्तन प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच डिजिटल बदलाव के लिए पूरी आबादी के पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग करने पर 11 अगस्त2023 को हस्ताक्षर किये गए एक समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दे दी है।

विवरण:

इस एमओयू का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और अनुभवों व डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैकके आदानप्रदान को बढ़ावा देना है।

समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और साल की अवधि तक लागू रहेगा।

प्रभाव:

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआईके क्षेत्र में जी2जी और बी2बी दोनों तरह के द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाये जायेंगे।

एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।

पृष्ठभूमि:

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरानमंत्रालय ने आईसीटी क्षेत्र में सहयोग और सूचना के आदानप्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं। यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के क्रम में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई डिजिटल इंडियाआत्मनिर्भर भारतमेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते प्रतिमान के साथआपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों का पता लगानेसर्वोत्तम तौरतरीकों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।

पिछले कुछ वर्षों मेंभारत ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआईके कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सेवाओं की सफलतापूर्वक अदायगी की है। परिणामस्वरूपकई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने और भारत के साथ समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है।

इंडिया स्टैक समाधानसार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने और सेवाओं की अदायगी के लिए पूरी आबादी के पैमाने पर भारत द्वारा विकसित और कार्यान्वित एक डीपीआई है। इसका उद्देश्य संचारसंपर्क को बढ़ानाडिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैंअंतरसंचालन योग्य हैं और उद्योग तथा सामुदायिक भागीदारीजो नवाचार और समावेशी समाधानों को बढ़ावा देते हैंका उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हालांकिडीपीआई के निर्माण के संदर्भ में प्रत्येक देश की अपनी आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ हैं। चूँकिप्राथमिक परिचालन समान हैइसलिए वैश्विक सहयोग संभव है।

*मंत्रिमंडल ने ‘मेरा युवा भारत’ नाम के एक स्वायत्तशासी निकाय की स्थापना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज ‘मेरा युवा भारत’ (एमवाई भारत) नाम के एक स्वायत्तशासी निकाय की स्थापना को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य युवाओं के विकास और युवा नेतृत्व वाले विकास के लिए प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित एक व्यापक सक्षम तंत्र के रूप में कार्य करना और युवाओं को समान पहुंच प्रदान करते हुए उनकी आकांक्षाओं को साकार करना और सरकार के संपूर्ण दायरे में विकसित भारत का निर्माण करना है।

प्रभाव:

मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) का प्राथमिक उद्देश्य इसे युवा विकास के लिए एक संपूर्ण सरकारी मंच बनाना है। नई व्यवस्था के तहत युवा, संसाधनों तक पहुंच और अवसरों से जुड़ाव के साथ, परिवर्तन के एजेंट और राष्ट्र निर्माता बन जाएंगे और सरकार तथा नागरिकों के बीच युवा सेतु के रूप में कार्य कर सकेंगे। यह व्यवस्था राष्ट्र निर्माण के लिए अपार युवा ऊर्जा का उपयोग करेगी।

विवरण:

मेरा युवा भारत (एमवाई भारत), एक स्वायत्तशासी निकाय होगा। राष्ट्रीय युवा नीति में दी गई ‘युवा’ की परिभाषा के अनुरूप, 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवा इससे लाभान्वित होंगे। विशेष रूप से किशोरों के लिए बनाए गए कार्यक्रम घटकों के मामले में, लाभार्थी 10-19 वर्ष के आयु वर्ग के होंगे।

मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) की स्थापना से इन बिन्दुओं को बढ़ावा मिलेगा:

क. युवाओं में नेतृत्व विकास:

  1. अलग-अलग व्यक्तिगत संपर्क की जगह प्रोग्रामेटिक कौशल का विकास कर अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व कौशल में सुधार होगा।
  2. युवाओं में अधिक निवेश करके उन्हें सामाजिक नवाचार और समुदाय नेता बनाने का कार्य किया जाएगा।
  3. युवा नेतृत्व वाले विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रित करना और युवाओं को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता की जगह विकास का “सक्रिय चालक” बनाना।

ख. युवा आकांक्षाओं और सामुदायिक आवश्यकताओं के बीच बेहतर तालमेल।

ग. मौजूदा कार्यक्रमों का सम्मिलन कर युवाओं की दक्षता में वृद्धि करना।

घ. युवा लोगों और मंत्रालयों के लिए वन स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करना।

ड. एक केंद्रीकृत युवा डेटा बेस बनाना।

च. युवा सरकारी पहलों और युवाओं के साथ जुड़ने वाले अन्य हितधारकों की गतिविधियों को जोड़ने के लिए दोतरफा संचार में सुधार।

छ. एक भौतिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हुए पहुंच सुनिश्चित करना।

पृष्ठभूमि:

सरकार ने, तेजी से बदलती दुनिया में, जहां तीव्र गति का संचार, सोशल मीडिया, नए डिजिटल अवसर और उभरती प्रौद्योगिकियों का वातावरण है, युवाओं को शामिल करने और ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित उनका सशक्तिकरण करने के लिए यह निर्णय लिया है कि एक नए स्वायत्तशासी निकाय, अर्थात् मेरा युवा भारत (एमवाई भारत) के रूप में एक व्यापक सक्षम तंत्र स्थापित किया जाए।

*केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और फ्रांस के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत गणराज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और फ्रांस गणराज्य के अर्थव्यवस्था, वित्त और औद्योगिक एवं डिजिटल संप्रभुता मंत्रालय के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।

विवरण:

इस एमओयू का उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों से संबंधित सूचनाओं के मामले में घनिष्ठ सहयोग एवं आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है और इस एमओयू के प्रावधानों के अनुरूप प्रत्येक भागीदार के अपने देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य का पारस्परिक रूप से समर्थन करना है।

प्रमुख प्रभाव:

डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।

कार्यान्वयन की रणनीति और लक्ष्य:

इस एमओयू के तहत सहयोग दोनों प्रतिभागियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने की तारीख से शुरू होगा और पांच (5) वर्षों तक चलेगा।

पृष्ठभूमि:

एमईआईटीवाई को सहयोग के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय ढांचे के तहत सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते एवं अग्रणी क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का दायित्व सौंपा गया है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में, एमईआईटीवाई ने द्विपक्षीय या बहुपक्षीय मंचों पर विभिन्न देशों के समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन/समझौते किए हैं। इस बदलते प्रतिमान में, ऐसे आपसी सहयोग के माध्यम से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।

भारत और फ्रांस भारत-यूरोपीय क्षेत्र में लंबे समय से रणनीतिक साझेदार हैं। भारत और फ्रांस एक ऐसा समृद्ध डिजिटल इकोसिस्टम विकसित करने और उस दिशा में साझेदारी का निर्माण करने हेतु प्रतिबद्ध हैं जो उनके नागरिकों को सशक्त बनाए और इस डिजिटल सदी में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करे।

वर्ष 2019 में घोषित साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित भारत-फ्रांस रोडमैप के आधार पर, भारत और फ्रांस उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) की रूपरेखा सहित सुपरकंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी, के क्षेत्र में एक महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय सहयोग कर रहे हैं।

*केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर लागू सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और पपुआ न्यू गिनी के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पपुआ न्यू गिनी के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर लागू सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग के लिए 28 जुलाई, 2023 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दे दी।

विवरण:

समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों को लागू करने में घनिष्ठ सहयोग, अनुभवों और डिजिटल प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों (यानी इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।

समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।

प्रभाव:

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी दोनों द्विपक्षीय सहयोगों को बढ़ाया जाएगा।

समझौता ज्ञापन में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।

पृष्ठभूमि:

एमईआईटीवाई आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरान, एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते में प्रवेश किया है।

यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए सरकार की डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते परिप्रेक्ष्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के कार्यान्वयन में नेतृत्व प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सफलतापूर्वक सेवाएं प्रदान की हैं। परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने और भारत के साथ समझौता ज्ञापन में प्रवेश करने में रुचि दिखाई है।

इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए जनसंख्या पैमाने पर भारत द्वारा विकसित और लागू एक डीपीआई है। इसका उद्देश्य कनेक्टिविटी बढ़ाना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतरसंचालनीय हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो नवीन और समावेशी समाधानों को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएं और चुनौतियां हैं, इसके बावजूद बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग की अनुमति देती है।

*मंत्रिमंडल ने तीन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों- लिथियम,  नायोबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) के खनन के लिए रॉयल्टी दरों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों लिथियम, नायोबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) के संबंध में रॉयल्टी की दर तय करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (‘एमएमडीआर अधिनियम’) की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दे दी है।

हाल ही में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 संसद द्वारा पारित किया गया था,  जो 17 अगस्त, 2023 से लागू हो गया है। संशोधन के जरिये अन्य बातों के अलावा, लिथियम और नायोबियम सहित छह खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटा दिया गया है, जिससे नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्र को इन खनिजों के लिए रियायतें देने की अनुमति मिल जाएगी। इसके अलावा, संशोधन में प्रावधान किया गया है कि लिथियम,  नायोबियम और आरईई (यूरेनियम और थोरियम रहित) के साथ 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों (जो अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में सूचीबद्ध हैं) के खनन पट्टे और समग्र लाइसेंस की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

रॉयल्टी की दर के मामले में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से केंद्र सरकार देश में पहली बार लिथियम, नायोबियम और आरईई के लिए ब्लॉकों की नीलामी करने में सक्षम होगी। ब्लॉकों की नीलामी में बोलीकर्ताओं के लिए खनिजों पर रॉयल्टी दर एक महत्वपूर्ण वित्तीय पक्ष है। इसके अलावा,  इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना के लिए खान मंत्रालय द्वारा प्रणाली भी तैयार की गई है, जो बोली मापदंडों के निर्धारण को सक्षम करेगी।

एमएमडीआर अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिए रॉयल्टी दरें तय करती है। दूसरी अनुसूची की मद संख्या 55 में यह प्रावधान है कि जिन खनिजों की रॉयल्टी दर विशेष रूप से उपलब्ध नहीं की गई है, उनके लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) का 12 प्रतिशत होगी। इस प्रकार, यदि लिथियम, नायोबियम और आरईई के लिए रॉयल्टी दर विशेष रूप से उपलब्ध नहीं की जाती है,  तो उनकी डिफ़ॉल्ट रॉयल्टी दर एएसपी का 12 प्रतिशत होगी। यह अन्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की तुलना में काफी अधिक है। साथ ही, 12 प्रतिशत की यह रॉयल्टी दर अन्य खनिज उत्पादक देशों के बराबर नहीं है। इस प्रकार, लिथियम, नायोबियम और आरईई की उचित रॉयल्टी दर निम्नानुसार निर्दिष्ट करने का निर्णय लिया गया है:

(i) लिथियम – लंदन मेटल एक्सचेंज मूल्य का तीन प्रतिशत,

(ii) नायोबियम – औसत बिक्री मूल्य का तीन प्रतिशत (प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों दोनों के लिए),

(iii) आरईई- रेयर अर्थ ऑक्साइड के औसत बिक्री मूल्य का एक प्रतिशत

देश में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिज जरूरी हो गए हैं। ऊर्जा परिवर्तन और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रति भारत के संकल्प को मद्देनजर रखते हुए लिथियम और आरईई जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की अहमियत बढ़ गई है। लिथियम, नायोबियम और आरईई भी अपने उपयोग और भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण रणनीतिक तत्वों के रूप में उभरे हैं। स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करने से आयात में कमी आएगी और संबंधित उद्योगों तथा अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना होगी। इस प्रस्ताव से खनन क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की भी उम्मीद है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने हाल ही में आरईई और लिथियम ब्लॉक की अन्वेषण रिपोर्ट सौंपी है। इसके अलावा, जीएसआई और अन्य अन्वेषण एजेंसियां ​​देश में महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पड़ताल कर रही है। केंद्र सरकार लिथियम, आरईई, निकेल, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स, पोटाश, ग्लौकोनाइट, फॉस्फोराइट, ग्रेफाइट, मोलिब्डेनम इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी का पहला दौर शीघ्र ही शुरू करने की दिशा में काम कर रही है।

 

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