प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के बीच जुलाई, 2023 में जापान-भारत सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला साझेदारी के लिए हस्ताक्षरित सहयोग ज्ञापन (एमओसी) से अवगत कराया गया।
एमओसी का उद्देश्य उद्योगों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों की उन्नति के लिए सेमीकंडक्टर के महत्व की पहचान करते हुए सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को संवर्धित करने की दिशा में भारत और जापान के बीच सहयोग को मजबूत बनाना है।
यह एमओसी दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और पांच साल की अवधि तक लागू रहेगा।
लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को आगे बढ़ाने और पूरक शक्तियों का लाभ उठाने के अवसरों पर जी2जी और बी2बी दोनों तरह के द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाए जाएंगे।
एमओसी बेहतर सहयोग की परिकल्पना करता है, जिससे आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
पृष्ठभूमि:
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करता आ रहा है। भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास हेतु कार्यक्रम का आरंभ देश में मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था। उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण, मार्किंग एंड पैकेजिंग (एटीएमपी)/आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधाओं के लिए फैब्स की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाना है। इसके अलावा, देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए भारत की रणनीतियों को संचालित करने के लिए डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (डीआईसी) के तहत इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की गई है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को द्विपक्षीय और क्षेत्रीय ढांचे के तहत सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते और अग्रणी क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी अधिदेशित किया गया है। इस उद्देश्य के साथ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने द्विपक्षीय सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन सुनिश्चित करते हुए भारत को विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरने में सक्षम बनाने हेतु विभिन्न देशों के समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किए हैं। इस एमओयू के माध्यम से जापानी और भारतीय कंपनियों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाया जाना, भारत और जापान के बीच परस्पर लाभकारी सेमीकंडक्टर से संबंधित व्यावसायिक अवसरों और साझेदारी की दिशा में एक और कदम है।
दोनों देशों के बीच तालमेल और संपूरकता के मद्देनजर अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री श्री मोदी की जापान यात्रा के दौरान सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों के साथ-साथ “डिजिटल आईसीटी प्रौद्योगिकियों” पर अधिक ध्यान केंद्रित हुए एस एंड टी/आईसीटी में सहयोग के दायरे में नई पहलों को आगे बढ़ाते हुए “भारत-जापान डिजिटल साझेदारी” (आईजेडीपी) की शुरूआत की गई थी। वर्तमान में जारी आईजेडीपी और भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी (आईजेआईसीपी) पर आधारित जापान-भारत सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला साझेदारी पर यह एमओसी इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के क्षेत्र में सहयोग को और व्यापक और गहन बनाएगा। उद्योगों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों की उन्नति के लिए सेमीकंडक्टर के महत्व की पहचान करते हुए यह एमओसी सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन को संवर्धित करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रबी सीजन 2023-24 (01.10.2023 से 31.03.2024 तक) के लिए फॉस्फेट और पोटाशयुक्त (पीएंडके) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरें तय करने के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
वर्ष | रु. प्रति किलो | |||
रबी, 2023-24
(01.10.2023 से 31.03.2024 तक) |
एन | पी | के | एस |
47.02 | 20.82 | 2.38 | 1.89 |
आगामी रबी सीजन 2023-24 में पोषक तत्व आधारित सब्सिडी पर 22,303 करोड़ रुपये का व्यय होने की उम्मीद है।
फॉस्फेट और पोटाशयुक्त उर्वरकों पर यह सब्सिडी रबी सीजन 2023-24 (01.10.2023 से 31.03.2024 तक लागू) के लिए अनुमोदित दरों के आधार पर प्रदान की जाएगी ताकि किसानों को किफायती मूल्यों पर इन उर्वरकों की उपलब्धता सुचारू रूप से सुनिश्चित की जा सके।
लाभ:
- किसानों को इन उर्वरकों की उपलब्धता रियायती, किफायती और उचित मूल्यों पर सुनिश्चित की जाएगी।
- उर्वरकों और संबंधित सामग्रियों के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में अभी हाल के रूझानों को ध्यान में रखते हुए फॉस्फेट और पोटाशयुक्त उर्वरकों पर सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना।
पृष्ठभूमि:
सरकार उर्वरक निर्माताओं/आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती कीमतों पर 25 ग्रेड का पीएंडके उर्वरक उपलब्ध करा रही है। पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी एनबीएस योजना के तहत 01.04.2010 से लागू है। अपने किसान हितैषी सोच के अनुरूप, सरकार किसानों को किफायती मूल्यों पर पीएंडके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उर्वरकों और संबंधित सामग्रियों यानी यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर की अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में हाल के रुझानों को देखते हुए सरकार ने रबी 2023-24 के लिए 01.10.23 से 31.03.24 तक फॉस्फेटिक और पोटाश (पीएंडके) उर्वरक पर प्रभावी एनबीएस दरों को मंजूरी देने का फैसला किया है। उर्वरक कंपनियों को अनुमोदित और अधिसूचित दरों के अनुसार सब्सिडी प्रदान की जाएगी ताकि किसानों को किफायती मूल्यों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके।
*आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दी।
पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत परियोजना के शेष कार्यों के घटकों के लिए अनुपात 90 (केंद्र): 10 (राज्य) में केंद्रीय सहायता।
परियोजना की अनुमानित लागत ₹2,584.10 करोड़ है, जिसमें उत्तराखंड को ₹1,557.18 करोड़ की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी
निर्धारित समापन: मार्च, 2028
उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57 हजार हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई।
इसके अलावा, हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों को 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने का पानी का प्रावधान, जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी।
14 मेगावाट बिजली संयंत्र की स्थापित क्षमता के साथ लगभग 63.4 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत उत्तराखंड की जमरानी परियोजना
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षणविभाग के प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च, 2028 तक ₹2,584.10 करोड़ की अनुमानित लागत वाली परियोजना को पूरा करने के लिए उत्तराखंड को ₹1,557.18 करोड़ की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दे दी है।इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास एक बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है। यह बांध मौजूदा गोला बैराज को अपनी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से पानी देगा, जो 1981 में पूरा हुआ था।
इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57,065 हेक्टेयर (उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर) की अतिरिक्त सिंचाई की परिकल्पना की गई है। दो नई फीडर नहरों के निर्माण के अलावा, 207 किमी मौजूदा नहरों का नवीनीकरण किया जाना है और परियोजना के तहत 278 किमी पक्के फील्ड चैनल भी क्रियान्वित किए जाने हैं। इसके अलावा, इस परियोजना में 14मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन के साथ-साथ हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने के पानी के प्रावधान की भी परिकल्पना की गई है, जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी।
परियोजना के सिंचाई लाभों का एक बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी होगा, और दोनों राज्यों के बीच लागत/लाभ साझाकरण 2017 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के अनुसार किया जाना है। हालांकि, पीने का पानी और बिजली लाभ उपलब्ध होंगे पूरी तरह से उत्तराखंड के लिए ही परिकल्पित हैं।
पृष्ठभूमि:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) वर्ष 2015-16 के दौरान शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य खेत पर पानी की पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना,खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना,स्थायी जल संरक्षण पद्धितियों को लागू करना आदि है। भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में 2021-26 के दौरान पीएमकेएसवाई के कार्यान्वयन को रुपये 93,068.56 करोड़ (37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता)के समग्र परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी । पीएमकेएसवाई का त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम(एआईबीपी) घटक प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई क्षमता के निर्माण से संबन्धित है। पीएमकेएसवाई–एआईबीपी के तहत अब तक53 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं तथा 25.14 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित हुई है। 2021-22 के बाद पीएमकेएसवाई के एआईबीपी घटक के अंतर्गत अब तक छह परियोजनाओं को शामिल किया गया था । जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना एआईबीपी के अंतर्गत शामिल होने वाली सातवीं परियोजना है।