प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और इटली सरकार के बीच प्रवासन और आवाजाही समझौते पर हस्ताक्षर और उसकी पुष्टि करने से संबंधित विदेश मंत्रालय के प्रस्ताव को अपनी पूर्वव्यापी मंजूरी दे दी है।
इस समझौते से लोगों के बीच परस्पर संपर्क में वृद्धि होगी, विद्यार्थियों, कुशल कामगारों , कारोबारियों और युवा पेशेवरों की आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा और दोनों पक्षों के बीच अनियमित प्रवासन से संबंधित मुद्दों पर सहयोग को मजबूती मिलेगी।
यह समझौता अध्ययन के बाद के अवसरों, इंटर्नशिप, पेशेवर प्रशिक्षण के तंत्रों सहित वर्तमान इतालवी वीज़ा व्यवस्था को परिमित करता है जो फ्लो डिक्री के तहत मौजूदा श्रम आवाजाही मार्गों के तहत भारत के लिए लाभ का आश्वासन देते हैं।
कुछ प्रमुख प्रावधान नीचे सूचीबद्ध हैं:
i. इटली में शैक्षणिक/व्यावसायिक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रारंभिक पेशेवर अनुभव हासिल करने के इच्छुक भारतीय विद्यार्थियों को 12 महीने तक के लिए इटली में अस्थायी निवास की अनुमति दी जा सकती है।
ii. इतालवी पक्ष के पास व्यावसायिक प्रशिक्षण, पाठ्येतर इंटर्नशिप और पाठ्यचर्या इंटर्नशिप से संबंधित विस्तृत प्रावधान हैं, जो भारतीय विद्यार्थियों/प्रशिक्षुओं को इतालवी कौशल/प्रशिक्षण मानकों में अनुभव प्राप्त करने का अवसर देते हैं।
iii. कामगारों के लिए, इतालवी पक्ष ने वर्तमान फ्लो डिक्री के तहत 2023, 2024 और 2025 के लिए 5000, 6000 और 7000 गैर मौसमी (या नॉन सीजनल) भारतीय कामगारों का कोटा आरक्षित किया है (गैर-मौसमी कामगारों के लिए कुल आरक्षित कोटा 12000 है)। इसके अतिरिक्त, इतालवी पक्ष ने वर्तमान फ्लो डिक्री के तहत 2023, 2024 और 2025 के लिए 3000, 4000 और 5000 मौसमी भारतीय कामगारों का कोटा आरक्षित किया है (मौसमी श्रमिकों के लिए कुल आरक्षित कोटा 8000 है)।
फ्लो डिक्री के तहत, इतालवी पक्ष ने 2023-2025 तक मौसमी और गैर–मौसमी दोनों कामगारों के लिए वृद्धिशील आरक्षित कोटे की पेशकश की है। इसके अतिरिक्त, यह समझौता युवा आवाजाही तथा स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा सेवा क्षेत्रों में योग्य भारतीय पेशेवरों की भर्ती की सुविधा पर समझौतों के माध्यम से भारत और इटली के बीच आवाजाही के मार्गों को आगे बढ़ाने पर संयुक्त कार्य करने को भी औपचारिक रूप देता है, जिस पर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) के तहत चर्चा की जाएगी।
अनियमित प्रवासन के खिलाफ लड़ाई में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को भी समझौते के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया है।
यह समझौता दो अधिसूचनाओं में से अंतिम की प्राप्ति की तारीख के बाद दूसरे महीने के पहले दिन से लागू होगा, जिसके द्वारा पक्ष एक–दूसरे को इसके लागू होने के लिए आवश्यक आंतरिक प्रक्रियाओं के पूरा होने और 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू रहने के बारे में सूचित करेंगे। जब तक कि किसी भी भागीदार द्वारा इसे समाप्त नहीं किया जाता, समझौता समान क्रमिक अवधि के लिए स्वचालित रूप से नवीनीकृत हो जाएगा।
यह समझौता जेडब्ल्यूजी के माध्यम से इसकी निगरानी के लिए एक औपचारिक तंत्र प्रदान करता है जो समय–समय पर, सुविधाानुसार आभासी या वास्तविक रूप से बैठक करेगा और इसके कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। जेडब्ल्यूजी उपयुक्त जानकारी साझा करेगा, समझौते के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करेगा और कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए आवश्यकतानुसार सभी उचित प्रस्तावों पर चर्चा करेगा।
पृष्ठभूमि:
इस समझौते पर 2 नवंबर, 2023 को भारत की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और इटली की ओर से विदेश मामले और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री श्री एंटोनियो तजानी ने हस्ताक्षर किए।
*कैबिनेट ने न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में भारत का महावाणिज्य दूतावास खोलने को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में भारत का महावाणिज्य दूतावास खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
ऑकलैंड में भारत का महावाणिज्य दूतावास खुलने से भारत का राजनयिक पदचिह्न बढ़ाने में मदद मिलेगी और भारत की बढ़ती वैश्विक भागीदारी को देखते हुए भारत का राजनयिक प्रतिनिधित्व सुदृढ़ होगा। इससे भारत के रणनीतिक और वाणिज्यिक हितों को बढ़ावा देने और ऑकलैंड में भारतीय समुदाय का बेहतर ढंग से कल्याण कर पाने में भी सहायता होगी।
इस वाणिज्य दूतावास के 12 महीने की समय सीमा के भीतर खोले जाने और पूरी तरह से चालू हो जाने की संभावना है।
*कैबिनेट ने भारत और मलेशिया के बीच प्रसार भारती और रेडियो टेलीविज़न मलेशिया (आरटीएम), मलेशिया के बीच प्रसारण में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को प्रसार भारती और रेडियो टेलीविज़न मलेशिया (आरटीएम), मलेशिया के बीच एमओयू/समझौते पर 07 नवंबर, 2023 को हुए हस्ताक्षर से अवगत कराया गया, जिसमें प्रसारण, समाचारों के आदान-प्रदान और ऑडियो-विज़ुअल कार्यक्रमों के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की अपार क्षमता है, साथ ही इससे मलेशिया के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके साथ ही प्रसार भारती द्वारा विभिन्न देशों के साथ हुए एमओयू की कुल संख्या 46 हो गई है।
प्रसार भारती राष्ट्र निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देश तथा विदेश, दोनों में सभी को सार्थक और सटीक कन्टेंट प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केंद्रित करता है। ये समझौता ज्ञापन अन्य देशों में कन्टेंट के वितरण, अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों के साथ साझेदारी विकसित करने और नई प्रौद्योगिकियों की मांगों को पूरा करने के लिए नई रणनीतियों की खोज में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। एमओयू पर हस्ताक्षर करने का प्रमुख लाभ संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, खेल, समाचार और अन्य क्षेत्रों में नि:शुल्क/गैर-नि:शुल्क आधार पर कार्यक्रमों के आदान-प्रदान से जुड़ा है।
भारत के लोक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती ने रेडियो और टेलीविजन के क्षेत्र में सार्वजनिक प्रसारण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया के लोक सेवा प्रसारक, रेडियो टेलिविज़न मलेशिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
*कैबिनेट ने 2024 मौसम के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 2024 मौसम के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है। किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए, सरकार ने 2018-19 के केन्द्रीय बजट में घोषणा की थी कि सभी अनिवार्य फसलों का एमएसपी अखिल भारतीय भारित उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना स्तर पर तय किया जाएगा। 2024 सीज़न के लिए मिलिंग खोपरा की उचित औसत गुणवत्ता के लिए एमएसपी 11,160/- रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12,000/- रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इससे मिलिंग कोपरा के लिए 51.84 प्रतिशत और बॉल कोपरा के लिए 63.26 प्रतिशत का मार्जिन सुनिश्चित होगा, जो उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत से 1.5 गुना से भी अधिक है। मिलिंग खोपरा का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है, जबकि बॉल/खाद्य खोपरा को सूखे फल के रूप में खाया जाता है और धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। केरल और तमिलनाडु मिलियन कोपरा के प्रमुख उत्पादक हैं, जबकि बॉल कोपरा का उत्पादन मुख्य रूप से कर्नाटक में होता है।
2024 मौसम में मिलिंग खोपरा के लिए एमएसपी में पिछले मौसम की तुलना में 300/- रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के मूल्य में 250/- रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में, सरकार ने मिलिंग खोपरा और बॉल कोपरा के लिए एमएसपी को 2014-15 में 5,250 रुपये प्रति क्विंटल और 5,500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2024-25 में 11,160 रुपये प्रति क्विंटल और 12,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जिसमें क्रमशः 113 प्रतिशत और 118 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
उच्च एमएसपी न केवल नारियल उत्पादकों के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगा, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारियल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए खोपरा उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी करेगा।
चालू मौसम 2023 में सरकार ने 1,493 करोड़ रुपये की लागत से 1.33 लाख मीट्रिक टन से अधिक खोपरा की रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की है, जिससे लगभग 90,000 किसानों को लाभ हुआ है। मौजूदा मौसम 2023 में खरीद पिछले सीज़न (2022) की तुलना में 227 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत देती है।
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नैफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत खोपरा और छिलके रहित नारियल की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे।
*कैबिनेट ने त्रिपुरा में खोवाई-हरिना सड़क के 135 किमी लंबे हिस्से के सुधार और चौड़ीकरण को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने त्रिपुरा में एनएच-208 की 101.300 किमी (खोवाई) से 236.213 किमी (हरिना) तक कुल 134.913 किमी लंबी सड़क को पक्का और दो लेन का करने, तथा उसके सुधार और चौड़ीकरण को मंजूरी दी है।
इस परियोजना में 2,486.78 करोड़ रुपये का निवेश होगा जिसमें 1,511.70 करोड़ रुपये (23,129 मिलियन जापानी येन) का ऋण शामिल है। आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) योजना के तहत यह ऋण सहायता जापान की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) की ओर से होगी। यह परियोजना त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों के बीच बेहतर सड़क कनेक्टिविटी को सुगम करने और मौजूदा एनएच-8 के अलावा त्रिपुरा से असम और मेघालय तक वैकल्पिक पहुंच प्रदान करने के लिए है।
लाभ:
इस परियोजना को इस क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक आवश्यकताओं पर विचार करने के बाद, मजबूत और गाड़ी चलाने योग्य सड़क प्रदान करने की ज़रूरत के आधार पर चुना गया है। इस परियोजना के एनएच-208 वाले हिस्से के विकास से न केवल एनएच-208ए के जरिए असम और त्रिपुरा के बीच अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि पारगमन समय भी कम होगा और यात्रियों के लिए सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान होगी। यह परियोजना बांग्लादेश सीमा के बहुत करीब से गुजरती है और यह कैलाशहर, कमालपुर और खोवाई सीमा चेक पोस्ट के माध्यम से बांग्लादेश से कनेक्टिविटी में सुधार करेगी। इस प्रोजेक्ट सड़क के विकास के जरिए क्षेत्र में सड़क नेटवर्क में सुधार होगा और साथ ही जमीनी सीमा व्यापार भी संभावित रूप से बढ़ेगा।
सड़क का ये चुना गया हिस्सा राज्य के कृषि क्षेत्रों, पर्यटन स्थलों, धार्मिक स्थानों और उन आदिवासी जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जो विकास और आय के मामले में पिछड़े हैं। इस परियोजना के पूरा होने के बाद कनेक्टिविटी में सुधार होगा जिससे राज्य को ज्यादा राजस्व मिलेगा और साथ-साथ स्थानीय जनता को भी आय होगी।
इस परियोजना के विस्तार के लिए निर्माण अवधि 2 वर्ष होगी जिसमें निर्माण पूरा होने के बाद 5 वर्ष (कच्चे फुटपाथ के लिए) / 10 वर्ष (पक्के फुटपाथ के लिए) के लिए इन राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों का रखरखाव करना भी शामिल होगा।
*कैबिनेट ने बिहार में गंगा नदी पर दीघा और सोनपुर को जोड़ने वाले 4.56 किमी लंबे, 6-लेन वाले नए पुल के निर्माण को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने गंगा नदी पर (मौजूदा दीघा-सोनपुर रेल-और सड़क पुल के पश्चिमी किनारे के समानांतर) 4556 मीटर लंबे, 6-लेन वाले उच्च स्तरीय/अतिरिक्त केबल वाले नए पुल और ईपीसी मोड पर बिहार राज्य में पटना और सारण जिलों (एनएच-139डब्ल्यू) में दोनों तरफ इसके पहुंच मार्ग के निर्माण को आज मंजूरी दे दी।
सम्मिलित व्यय :
परियोजना की कुल लागत 3,064.45 करोड़ रुपये है जिसमें 2,233.81 करोड़ रुपये की सिविल निर्माण लागत शामिल है।
लाभार्थियों की संख्या :
यह पुल यातायात को तेज़ और आसान बना देगा जिसके परिणामस्वरूप राज्य, विशेषकर उत्तर बिहार का समग्र विकास होगा।
विवरण :
दीघा (पटना और गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित) और सोनपुर (सारण जिले में गंगा नदी का उत्तरी तट) वर्तमान में केवल हल्के वाहनों की आवाजाही के लिए रेल और सड़क पुल से जुड़े हुए हैं। इसलिए, वर्तमान सड़क का उपयोग माल और वस्तुओं के परिवहन के लिए नहीं किया जा सकता है जो एक प्रमुख आर्थिक नाकाबंदी है। इस पुल को उपलब्ध कराने से दीघा और सोनपुर के बीच बाधा दूर हो जाएगी; पुल के निर्माण के बाद माल और वस्तुओं को लाने-ले जाने का काम किया जा सकता है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक क्षमता उजागर होगी।
यह पुल पटना से एनएच-139 के माध्यम से औरंगाबाद और सोनपुर (एनएच-31) में स्वर्णिम चतुर्भुज गलियारे, छपरा, मोतिहारी (पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर पुराना एनएच-27), बिहार के उत्तरी हिस्से में बेतिया (एनएच-727) तक सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह परियोजना बुद्ध सर्किट का एक हिस्सा है। यह वैशाली और केशरिया में बुद्ध स्तूप को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है। इसके अलावा, एनएच-139डब्ल्यू बहुत प्रसिद्ध अरेराज सोमेश्वर नाथ मंदिर और पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर (दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक) को कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
यह परियोजना पटना में है और राज्य की राजधानी के माध्यम से उत्तर बिहार और बिहार के दक्षिणी हिस्से को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह पुल वाहनों की आवाजाही को तेज़ और आसान बना देगा जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र का समग्र विकास होगा। आर्थिक विश्लेषण परिणामों ने आधार मामले में 17.6 प्रतिशत का ईआईआरआर और सबसे खराब स्थिति में 13.1 प्रतिशत दिखाया है, जिसका श्रेय दूरी और यात्रा में लगने वाले समय में बचत को दिया जा सकता है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य :
निर्माण और संचालन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 5डी-बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (बीआईएम), ब्रिज हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम (बीएचएमएस), मासिक ड्रोन मैपिंग जैसी नवीनतम तकनीक के उपयोग के साथ ईपीसी मोड पर कार्य लागू किया जाना है।
कार्य नियत तिथि से 42 माह में पूरा करने का लक्ष्य है।
रोजगार सृजन क्षमता सहित प्रमुख प्रभाव :
- इस परियोजना का उद्देश्य तेजी से आवागमन और बिहार के उत्तर और दक्षिण हिस्सों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस प्रकार, पूरे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- परियोजना के निर्माण और रखरखाव अवधि के दौरान की गई विभिन्न कार्यों से कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है।
शामिल किए गए राज्य/जिले :
यह पुल बिहार के दो जिलों अर्थात् दक्षिण की ओर दीघा में पटना और उत्तर की ओर गंगा नदी के पार सारण को जोड़ेगा।
पृष्ठभूमि :
सरकार ने राजपत्र अधिसूचना दिनांक 8 जुलाई 2021 के माध्यम से “पटना (एम्स) के पास एनएच-139 के साथ अपने जंक्शन से शुरू होकर बाकरपुर, मानिकपुर, साहेबगंज, अरेराज को जोड़ने और बिहार राज्य में बेतिया के पास एनएच-727 के साथ अपने जंक्शन पर समाप्त होने वाले राजमार्ग” को एनएच-139 (डब्ल्यू) घोषित किया है।