प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी 12,850 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ, किया

Prime Minister Shri Narendra Modi launches, inaugurates and lays the foundation stone of multiple projects related to health sector worth over Rs 12,850 crore

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है, इस क्षेत्र में आज शुरू की गई पहल से नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती सुविधाएं मिलेंगी: प्रधानमंत्री

हम सभी के लिए खुशी की बात है कि आज 150 से ज्यादा देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है: प्रधानमंत्री

सरकार ने स्वास्थ्य नीति के पांच स्तंभ परिभाषित किए हैं: प्रधानमंत्री

अब देश के 70 साल से ऊपर के हर वरिष्ठ नागरिक को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा, ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड दिया जाएगा: प्रधानमंत्री

जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकार मिशन इंद्रधनुष अभियान चला रही है: प्रधानमंत्री

हमारी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग करके देशवासियों का पैसा बचा रही है: प्रधानमंत्री

धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में लगभग 12,850 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए धन्वंतरि जयंती और धनतेरस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने देश के सभी व्यापारियों को अपनी शुभकामनाएं दीं। इस दिन लोग अपने घरों के लिए कुछ नया खरीदते हैं। उन्होंने दीवाली की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दीवाली ऐतिहासिक है, क्योंकि अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर हजारों दीपकों से जगमगाएगा, जिससे उत्सव अभूतपूर्व हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ”इस साल की दीवाली पर भगवान राम एक बार फिर अपने निवास स्थान पर लौट आये हैं।” उन्होंने कहा कि आखिरकार 14 साल बाद नहीं, बल्कि 500 ​​साल बाद इंतजार खत्म हुआ।

श्री मोदी ने कहा, यह कोई संयोग नहीं है कि इस वर्ष धनतेरस का त्योहार समृद्धि और स्वास्थ्य का संयोजन है, बल्कि भारत की संस्कृति और जीवन दर्शन का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने साधु-संतों को उद्धृत करते हुए बताया कि स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना जाता है और यह प्राचीन अवधारणा योग के रूप में दुनिया भर में स्वीकृति प्राप्त कर रही है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज 150 से अधिक देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है और कहा कि यह आयुर्वेद के प्रति बढ़ती रुचि और प्राचीन काल से दुनिया में भारत के योगदान का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले एक दशक में देश में आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के ज्ञान के एकीकरण से स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान इस अध्याय का केंद्र बिंदु है। श्री मोदी ने कहा कि सात साल पहले आयुर्वेद दिवस पर उन्हें संस्थान के पहले चरण को देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला था और आज भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद से वह संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत शोध अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक तकनीक से युक्त पंचकर्म जैसी प्राचीन तकनीकों को देखना संभव होगा। श्री मोदी ने इस प्रगति के लिए भारत के देशवासियों को बधाई दी।

यह देखते हुए कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति सीधे उसके नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है, प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्राथमिकता पर प्रकाश डाला और स्वास्थ्य नीति के पांच स्तंभों को रेखांकित किया। उन्होंने इन पांच स्तंभों का उल्लेख किया – निवारक स्वास्थ्य देखभाल, बीमारियों का शीघ्र पता लगाना, मुफ्त और कम लागत वाला उपचार और दवाएं, छोटे शहरों में डॉक्टरों की उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं में प्रौद्योगिकी का विस्तार। श्री मोदी ने कहा, “भारत स्वास्थ्य क्षेत्र को समग्र स्वास्थ्य के रूप में देखता है।” श्री मोदी ने कहा, आज की परियोजनाएं इन पांच स्तंभों को प्रतिबिंबित करती हैं। 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने आयुष स्वास्थ्य योजना के तहत उत्कृष्टता के चार केंद्रों की स्थापना, ड्रोन के उपयोग के साथ स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, ऋषिकेश में एम्स में हेलीकॉप्टर सेवा का उल्लेख किया। नई दिल्ली और एम्स, बिलासपुर में नए बुनियादी ढांचे, देश के पांच अन्य एम्स की सेवाओं के विस्तार मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, नर्सिंग कॉलेजों का लोकार्पण एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी अन्य परियोजनाओं का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने श्रमिकों के इलाज के लिए कुछ अस्पतालों की स्थापना पर खुशी जताई और कहा कि यह श्रमिकों के इलाज का केंद्र बनेगा। उन्होंने फार्मा इकाइयों के उद्घाटन पर भी बात की, जो उन्नत दवाओं और उच्च गुणवत्ता वाले स्टेंट और इम्प्लांट के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और भारत के विकास को गति देंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हममें से अधिकांश लोग ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जहां बीमारी का मतलब पूरे परिवार पर बिजली गिरना है और विशेष रूप से एक गरीब परिवार में, यदि कोई गंभीर बीमारियों से पीड़ित है, तो उसके परिवार का प्रत्येक सदस्य इससे बुरी तरह प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, एक समय था, जब लोग इलाज के लिए अपने घर, जमीन, गहने, सब कुछ बेच देते थे और अपनी जेब से भारी खर्च वहन करने में असमर्थ थे, जबकि गरीब लोगों को स्वास्थ्य देखभाल और अन्य पारिवारिक प्राथमिकताओं के बीच चयन करना पड़ता था। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि गरीबों की निराशा को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की,, जिसके तहत सरकार गरीबों के अस्पताल में भर्ती होने का 5 लाख रुपये तक का खर्च वहन करेगी। प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि देश के लगभग 4 करोड़ गरीब लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिला है और उन्हें एक भी रुपया खर्च किए बिना इलाज मिला है। श्री मोदी ने कहा कि जब वे देश के विभिन्न राज्यों में आयुष्मान योजना के लाभार्थियों से मिलते हैं, तो उन्हें संतुष्टि होती है कि यह योजना इससे जुड़े हर व्यक्ति के लिए वरदान है, चाहे वह डॉक्टर हो या पैरामेडिकल स्टाफ।

श्री मोदी ने आयुष्मान योजना के विस्तार पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हर बुजुर्ग इस योजना के लिए उत्सुक है और तीसरी बार चुने जाने पर 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना के तहत लाने की चुनावी गारंटी पूरी हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में 70 साल से अधिक उम्र के हर बुजुर्ग को आयुष्मान वय वंदना कार्ड के माध्यम से अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा। श्री मोदी ने कहा, यह कार्ड सार्वभौमिक है और इसमें कोई आय सीमा नहीं है, चाहे वह गरीब हो या मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग। यह जानकारी देते हुए कि यह योजना सार्वभौमिक कवरेज के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, श्री मोदी ने कहा कि घर के बुजुर्गों के लिए आयुष्मान वय वंदना कार्ड से जेब से होने वाला खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा। उन्होंने इस योजना के लिए सभी देशवासियों को बधाई दी और यह भी बताया कि यह योजना दिल्ली और पश्चिम बंगाल में लागू नहीं की गई है।

गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए इलाज की लागत कम करने की सरकार की प्राथमिकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि देश भर में 14,000 से अधिक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र शुरू किए गए हैं, जहां दवाएं 80 प्रतिशत की छूट पर उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि सस्ती दवाओं की उपलब्धता के कारण गरीब और मध्यम वर्ग 30,000 करोड़ रुपये बचाने में सफल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण जैसे उपकरणों की लागत कम कर दी गई है, जिससे आम नागरिकों को होने वाले 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान को रोका जा सका है। उन्होंने घातक बीमारियों को रोकने और गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए मुफ्त डायलिसिस योजना और मिशन इंद्रधनुष अभियान का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि जब तक देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को महंगे इलाज के बोझ से मुक्ति नहीं मिल जाती, तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे।

प्रधानमंत्री ने बीमारियों से जुड़े जोखिमों और असुविधाओं को कम करने के लिए समय पर निदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शीघ्र निदान और उपचार की सुविधा के लिए देश भर में दो लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा, ये स्वास्थ्य मंदिर करोड़ों नागरिकों को कैंसर, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों की आसानी से जांच करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा, समय पर निदान से त्वरित उपचार होता है, जिससे अंततः रोगियों का खर्च बचता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ई-संजीव योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने और नागरिकों के पैसे बचाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है, जिसमें 30 करोड़ से अधिक लोगों ने डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श लिया है। उन्होंने कहा, “डॉक्टरों की मुफ्त और सटीक सलाह से स्वास्थ्य देखभाल की लागत में काफी कमी आई है।” श्री मोदी ने यू-विन प्लेटफॉर्म के लॉन्च की घोषणा की, जो भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के मामले में एक उन्नत इंटरफेस प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “दुनिया ने महामारी के दौरान हमारे को-विन प्लेटफॉर्म की सफलता देखी है और यूपीआई भुगतान प्रणाली की सफलता एक वैश्विक कहानी बन गई है।” उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इस सफलता को दोहराना है।

प्रधानमंत्री ने पिछले दशक में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला, जो कि पिछले छह से सात दशकों में प्राप्त सीमित सफलताओं के विपरीत है, उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में, हमने रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स और मेडिकल कॉलेज स्थापित किए हैं।” प्रधानमंत्री ने आज के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में अस्पतालों का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कर्नाटक में नरसापुर और बोम्मासंद्रा, मध्य प्रदेश में पीथमपुर, आंध्र प्रदेश में अचिथापुरम और हरियाणा में फरीदाबाद में नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक नए ईएसआईसी अस्पताल पर काम शुरू हो गया है और इंदौर में एक नए अस्पताल का उद्घाटन किया गया है।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों की बढ़ती संख्या चिकित्सा सीटों में आनुपातिक वृद्धि को दर्शाती है। उन्होंने पुष्टि की कि किसी भी गरीब बच्चे का डॉक्टर बनने का सपना नहीं टूटेगा और किसी भी मध्यम वर्ग के छात्र को भारत में विकल्पों की कमी के कारण विदेश में पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। श्री मोदी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में लगभग 1 लाख नई एमबीबीएस और एमडी सीटें जोड़ी गई हैं और उन्होंने अगले पांच वर्षों में 75,000 और सीटों की घोषणा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में 7.5 लाख पंजीकृत आयुष चिकित्सक स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने इस संख्या को और बढ़ाने पर जोर दिया और भारत में चिकित्सा और कल्याण पर्यटन की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत और विदेशों में निवारक कार्डियोलॉजी, आयुर्वेदिक आर्थोपेडिक्स और आयुर्वेदिक पुनर्वास केंद्रों जैसे क्षेत्रों के विस्तार के लिए युवाओं और आयुष चिकित्सकों को तैयार रहने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “आयुष चिकित्सकों के लिए प्रचुर अवसर पैदा किए जा रहे हैं। इन अवसरों के माध्यम से हमारे युवा न केवल खुद को आगे बढ़ाएंगे बल्कि मानवता की भी महान सेवा करेंगे।”

प्रधानमंत्री मोदी ने 21वीं सदी के दौरान चिकित्सा के क्षेत् में तेजी से प्रगति का उल्लेख किया, जिसमें पहले से असाध्य रोगों के उपचार में भी प्रगति हुई। उन्होंने कहा, ”जहां दुनिया इलाज के साथ-साथ वेलनेस को भी महत्व देती है, वहीं भारत के पास इस क्षेत्र में हजारों वर्षों का ज्ञान है।” प्रधानमंत्री ने प्रकृति परीक्षण अभियान शुरू करने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के सिद्धांतों का उपयोग करके व्यक्तियों के लिए आदर्श जीवनशैली और जोखिम का विश्लेषण तैयार करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहल विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को फिर से परिभाषित कर सकती है और पूरी दुनिया के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान कर सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च प्रभाव वाले वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से अश्वगंधा, हल्दी और काली मिर्च जैसी पारंपरिक जड़ी-बूटियों को मान्यता देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारी पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की प्रयोगशाला मान्यता न केवल इन जड़ी-बूटियों के मूल्य को बढ़ाएगी, बल्कि एक महत्वपूर्ण बाजार भी तैयार करेगी।” उन्होंने अश्वगंधा की बढ़ती मांग पर गौर किया, जिसके इस दशक के अंत तक 2.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

इस बात पर जोर देते हुए कि आयुष की सफलता न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बदल रही है, प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष उत्पाद क्षेत्र 2014 में 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्तमान में लगभग 24 बिलियन डॉलर हो गया है, जो कि केवल 10 वर्षों में 8 गुना वृद्धि है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में 900 से अधिक आयुष स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं, जो युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 150 देशों में आयुष उत्पादों के वैश्विक निर्यात पर प्रकाश डाला, जिससे स्थानीय जड़ी-बूटियों और सुपरफूड्स को वैश्विक वस्तुओं में बदलकर भारतीय किसानों को लाभ हुआ है। उन्होंने नमामि गंगे परियोजना जैसी पहल की ओर भी इशारा किया, जो गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक खेती और जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देती है।

स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा, “यह भारत के राष्ट्रीय चरित्र और सामाजिक ताने-बाने की आत्मा है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में देश की नीतियों को ‘सब का साथ, सबका विकास’ के दर्शन के साथ जोड़ा है। श्री मोदी ने निष्कर्ष निकाला, “ये प्रयास अगले 25 वर्षों में एक विकसित और स्वस्थ भारत के लिए एक मजबूत नींव रखेंगे।”

इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे.पी. नड्डा, श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रमुख योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) में एक बड़ा योगदान देते हुए, प्रधानमंत्री ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य कवर प्रदान करना शुरू किया है। इससे सभी वरिष्ठ नागरिकों को उनकी आय की परवाह किए बिना स्वास्थ्य कवर प्रदान करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री का यह निरंतर प्रयास रहा है कि देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में, प्रधानमंत्री ने कई स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

प्रधानमंत्री ने भारत के पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन किया। इसमें एक पंचकर्म अस्पताल, दवा निर्माण के लिए एक आयुर्वेदिक फार्मेसी, एक खेल चिकित्सा इकाई, एक केंद्रीय पुस्तकालय, एक आईटी और स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन केंद्र और एक 500 सीटों वाला सभागार शामिल है। उन्होंने मध्य प्रदेश में मंदसौर, नीमच और सिवनी में तीन मेडिकल कॉलेजों का भी उद्घाटन किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर, पश्चिम बंगाल के कल्याणी, बिहार के पटना, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल, असम के गुवाहाटी और नई दिल्ली में एम्स में विभिन्न  सुविधाओं और सेवा का विस्तार और उद्घाटन किया, जिसमें एक जन औषधि केंद्र भी शामिल होगा। प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और ओडिशा के बारगढ़ में एक क्रिटिकल केयर ब्लॉक का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी, रतलाम, खंडवा, राजगढ़ और मंदसौर में पांच नर्सिंग कॉलेजों, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, तमिलनाडु और राजस्थान में 21 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों तथा नई दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित एम्स में अनेक सुविधाओं और सेवा विस्तारों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के इंदौर में ईएसआईसी अस्पताल का भी उद्घाटन किया और हरियाणा के फरीदाबाद, कर्नाटक के बोम्मासंद्रा और नरसापुर, मध्य प्रदेश के इंदौर, उत्तर प्रदेश के मेरठ और आंध्र प्रदेश के अचुतापुरम में ईएसआईसी अस्पतालों की आधारशिला रखी। इन योजनाओं से लगभग 55 लाख ईएसआई लाभार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों में सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने के प्रबल समर्थक रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा को और अधिक सुलभ बनाने और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग में, प्रधानमंत्री ने 11 तृतीयक स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में ड्रोन सेवाओं का शुभारंभ किया। ये हैं उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश, तेलंगाना में एम्स बीबीनगर, असम में एम्स गुवाहाटी, मध्य प्रदेश में एम्स भोपाल, राजस्थान में एम्स जोधपुर, बिहार में एम्स पटना, हिमाचल प्रदेश में एम्स बिलासपुर, उत्तर प्रदेश में एम्स रायबरेली, छत्तीसगढ़ में एम्स रायपुर, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलगिरी और मणिपुर में रिम्स इंफाल। उन्होंने त्वरित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में मदद के लिए ऋषिकेश के एम्स अस्पताल से हेलीकॉप्टर द्वारा आपातकालीन चिकित्सा सेवा भी शुरू की।

प्रधानमंत्री ने यू-विन पोर्टल लॉन्च किया। यह टीकाकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल करके गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को लाभान्वित करेगा। यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों (जन्म से 16 वर्ष तक) को 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ जीवन रक्षक टीकों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने सहयोगी और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और संस्थानों के लिए एक पोर्टल भी लॉन्च किया। यह मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और संगठनों के केंद्रीकृत डेटाबेस के रूप में कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री ने देश में स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम में सुधार के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा परीक्षण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई पहल शुरू कीं। प्रधानमंत्री ने ओडिशा के भुवनेश्वर के गोथापटना में केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

उन्होंने ओडिशा के खोरधा और छत्तीसगढ़ के रायपुर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के दो केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों की आधारशिला रखी। उन्होंने चिकित्सा उपकरणों के लिए गुजरात के एनआईपीईआर अहमदाबाद, थोक दवाओं के लिए तेलंगाना के एनआईपीईआर हैदराबाद, फाइटोफार्मास्युटिकल्स के लिए असम के एनआईपीईआर गुवाहाटी और एंटी-बैक्टीरियल एंटी-वायरल दवा खोज और विकास के लिए पंजाब के एनआईपीईआर मोहाली में चार उत्कृष्टता केंद्रों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने चार आयुष उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ किया, जिनमें बेंगलुरु में मधुमेह और मेटाबोलिक विकारों के लिए उत्कृष्टता केंद्र, आईआईटी दिल्ली में नवीन तकनीकी समाधान, स्टार्ट-अप समर्थन और नेट शून्य स्थायी समाधान के लिए सतत आयुष उत्कृष्टता केंद्र; केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में आयुर्वेद में बुनियादी और परिवर्तनकारी अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र और जेएनयू, नई दिल्ली में आयुर्वेद और सिस्टम मेडिसिन पर उत्कृष्टता केंद्र शामिल हैं।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के वापी, तेलंगाना के हैदराबाद, कर्नाटक के बेंगलुरु, आंध्र प्रदेश के काकीनाडा और हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में चिकित्सा उपकरणों और बल्क दवाओं के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पांच परियोजनाओं का उद्घाटन किया। ये इकाइयां महत्वपूर्ण थोक दवाओं के साथ-साथ बॉडी इम्प्लांट और क्रिटिकल केयर उपकरण जैसे महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों का निर्माण करेंगी।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी अभियान, “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” भी शुरू किया, जिसका उद्देश्य नागरिकों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राज्य-विशिष्ट कार्य योजना भी शुरू की, जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए रणनीति तैयार करेगी।

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