केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में

Union Cabinet meeting chaired by PM Modi Important decisions

* मंत्रिमंडल ने भारतीय रेल में लगभग 32,500 करोड़ रुपये की कुल 2339 किलोमीटर की सात मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी


इससे मौजूदा लाइन क्षमता को बढ़ाना,  ट्रेनों का आवागमन सुचारू बनाना, भीड़-भाड़ कम करना तथा यात्रा और परिवहन को आसान बनाना संभव होगा

परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 7.06 करोड़ मानव दिवसों के प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा

क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप 200 एमटीपीए अतिरिक्त माल ढुलाई होगी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से रेल मंत्रालय की लगभग 32,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली सात परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की। इन मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं के प्रस्तावों से परिचालन में आसानी होगी और भीड़-भाड़ में कमी आएगी, जिससे भारतीय रेल के अति व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढांचागत विकास संभव हो सकेगा।

9 राज्यों अर्थात उत्तर प्रदेशबिहारतेलंगानाआंध्र प्रदेशमहाराष्ट्रगुजरातओडिशाझारखंड और पश्चिम बंगाल के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की वृद्धि होगी। इसके अलावा राज्यों के लोगों को 7.06 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

 

क्र.सं परियोजना का नाम परियोजना की प्रकृति
1 गोरखपुर-छाबनी-वाल्मीकि नगर मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
2 सोन नगर-अंडाल मल्टी ट्रैकिंग परियोजना मल्टी ट्रैकिंग
3 नेरगुंडी-बारंग और खुर्दा रोड-विजयनगरम तीसरी लाइन
4 मुदखेड-मेडचल और महबूबनगर-धोने मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
5 गुंटूर-बीबीनगर मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
6 चोपन-चुनार मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
7 समखिअली-गांधीधाम चार लाइन बनाना

ये खाद्यान्नउर्वरककोयलासीमेंटफ्लाई-ऐशलोहा और तैयार इस्पातक्लिंकरकच्चा तेलचूना पत्थरखाद्य तेल आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप अतिरिक्त 200 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) माल की ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा दक्ष परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और देश की लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में मदद करेगा।

ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में मल्टी-टास्किंग कार्यबल बनाकर क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएंगी और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि करेंगी।

ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो समेकित आयोजना से संभव हो सका है। इनकी बदौलत लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी।

 

 *केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14,903 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार को स्वीकृति दी

नागरिकों को डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारम्भ 1 जुलाई, 2015 को किया गया था। यह कार्यक्रम अत्यधिक सफल साबित हुआ है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार को स्वीकृति दी। इसके लिए 14,903 करोड़ रुपये की धनराशि रखी गयी है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से निम्नलिखित लाभ होंगे:

• फ्यूचर स्किल प्राइम कार्यक्रम के अंतर्गत 6.25 लाख सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों को पुनः कौशल से लैस किया जाएगा और उन्हें कौशल उन्नयन किया जाएगा;

• सूचना सुरक्षा और शिक्षा जागरूकता चरण (आईएसईए) कार्यक्रम के अंतर्गत 2.65 लाख व्यक्तियों को सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाएगा;

• यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस (उमंग) ऐप/प्लेटफॉर्म के अंतर्गत 540 अतिरिक्त सेवाएं उपलब्ध होंगी। भारत सरकार के निःशुल्क मोबाइल ऐप उमंग पर वर्तमान में 1,700 से अधिक सेवाएं पहले से ही उपलब्ध हैं;

• राष्ट्रीय सुपर कम्प्यूटर मिशन के तहत 9 और सुपर कंप्यूटर जोड़े जाएंगे। यह पहले से तैनात 18 सुपर कम्प्यूटरों के अतिरिक्त हैं;

• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम बहु-भाषा अनुवाद उपकरण (वर्तमान में 10 भाषाओं में उपलब्ध) भाषिणी को सभी 22 अनुसूची और 8 भाषाओं में शुरू किया जाएगा;

• राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इसमें 1,787 शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जाएगा;

• डिजीलॉकर के अंतर्गत डिजिटल दस्तावेज सत्यापन सुविधा मुहैया कराई जाएगी। अब यह सुविधा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तथा अन्य संगठनों के लिए भी उपलब्ध होगी;

• टियर 2/3 शहरों में 1,200 स्टार्टअप्स को सहायता दी जाएगी;

• स्वास्थ्य, कृषि और टिकाऊ शहरों की आवश्यकताओं पर आधारित तीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे;

• 12 करोड़ कॉलेज छात्रों के लिए साइबर-जागरूकता पाठ्यक्रम चलाये जाएंगे;

• उपकरणों के विकास और राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र के साथ 200 से अधिक साइटों के एकीकरण सहित साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई पहल शुरू की जाएगी;

• आज की घोषणा भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, सेवाओं तक डिजिटल पहुंच सक्षम बनाएगी और भारत के सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का समर्थन करेगी।

 

 *केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अधिकृत आर्थिक संचालकों की परस्पर मान्यता व्यवस्था को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के राजस्व विभाग के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) और ऑस्ट्रेलिया सरकार के ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल को शामिल करने वाले गृह विभाग के बीच परस्पर मान्यता व्यवस्था (एमआरए) पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन को मंजूरी दे दी है।

इस व्यवस्था का उद्देश्य आयातक देश के सीमा शुल्क प्राधिकरणों द्वारा माल की निकासी में दोनों हस्ताक्षरकर्ता देशों के मान्यता प्राप्त और विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करना है। अधिकृत आर्थिक संचालकों की परस्पर मान्यता, विश्व सीमा शुल्क संगठन के सेफ (एसएएफई) फ्रेमवर्क मानकों का एक प्रमुख घटक है, जो वैश्विक स्तर पर व्यापार को उच्च सुविधा प्रदान करते हुए आपूर्ति श्रृंखलाओं की अंतिम छोर तक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाता है। इस व्यवस्था से ऑस्ट्रेलिया माल भेजने वाले हमारे निर्यातकों को लाभ होगा और इस प्रकार दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।

ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियाई विश्वसनीय व्यवसायी कार्यक्रम और भारत में अधिकृत आर्थिक संचालक कार्यक्रम की परस्पर मान्यता दोनों देशों के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किये जाने की तिथि से लागू होगी। दोनों देशों के सीमा शुल्क प्रशासनों की सहमति से प्रस्तावित परस्पर मान्यता व्यवस्था के मूल पाठ को अंतिम रूप दे दिया गया है।

 *कैबिनेट ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेल के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा ऑस्ट्रेलिया सरकार के स्वास्थ्य और वृद्धवस्था देखभाल विभाग के बीच खेल के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन (एमओयूको मंजूरी दे दी है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेल के क्षेत्र में द्विपक्षीय आदानप्रदान कार्यक्रमखेल विज्ञानप्रौद्योगिकी और अवसंरचना के क्षेत्र में ज्ञान तथा विशेषज्ञता का विस्तार करने में मदद करेंगे। इस द्विपक्षीय आदानप्रदान कार्यक्रम के तहतएथलीट और कोच प्रशिक्षण और विकासखेल प्रशासन और निष्ठाखेल में जमीनी स्तर की भागीदारीप्रमुख खेल आयोजनखेल में विविधता और समावेश आदि पहलों के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार होगा और भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। 

ऑस्ट्रेलिया के साथ खेल के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग से होने वाले लाभसभी खिलाड़ियों पर समान रूप से लागू होंगे और जातिपंथक्षेत्रधर्म तथा लिंग आदि का कोई विभेद मान्य नहीं होगा। 

 *केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्‍सा उत्‍पादों के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और सूरीनाम के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच 4 जून, 2023 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। भारत की राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर किये गये थे।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य चिकित्सा उत्पादों से संबंधित कानूनों और विनियमों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर रचनात्मक बातचीत की सुविधा प्रदान करना है।

इस समझौता ज्ञापन में केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और सूरीनाम गणराज्य की सरकार के बीच उनकी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरुप चिकित्सा उत्पादों के विनियमन से संबंधित मामलों में उपयोगी सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने की व्यवस्था है। दोनों नियामक प्राधिकरणों के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं:

ए. एक-दूसरे के विनियामक ढांचे, आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं के पक्षों के बीच समझ को बढ़ावा देना और दोनों पक्षों के लिए भविष्य में विनियामक सुदृढ़ीकरण पहल की सुविधा प्रदान करना,

बी. अच्छी प्रयोगशाला कार्य-प्रणालियों (जीएलपी), अच्छी नैदानिक कार्य-प्रणालियों (जीसीपी), अच्छी विनिर्माण कार्य-प्रणालियों (जीएमपी) और अच्छी फार्मा-कोविजिलेंस कार्य-प्रणालियों (जीपीवीपी) पर सूचना और सहयोग का आदान-प्रदान।

सी. भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता

डी. फार्मा-कोविजिलेंस और प्रतिकूल घटनाओं सहित सुरक्षा सूचनाओं का आदान-प्रदान, जहां दूसरे पक्ष से संबंधित कोई विशेष सुरक्षा चिंता हो। इसमें औषधियों और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित सुरक्षा चिंताएं शामिल हैं।

इ. संबंधित पक्षों द्वारा आयोजित वैज्ञानिक और व्यावहारिक सम्मेलनों, संगोष्ठियों, सेमिनारों और मंच में वैज्ञानिक भागीदारी।

एफ. पारस्परिक रूप से सहमति वाले क्षेत्रों में क्षमता निर्माण,

जी. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर समन्वय,

एच. साझे हित का कोई अन्य क्षेत्र।

समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा जिससे विदेशी मुद्रा की आय होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम होगा।

विनियामक प्रथाओं में तालमेल से भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी और परिणामस्वरूप फार्मा क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।

दोनों देशों के नियामक अधिकारियों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन फार्मास्युटिकल उपयोग के लिए कच्चे माल, जैविक उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक उत्पादों सहित फार्मास्यूटिकल्स के संबंध में चिकित्सा उत्पादों के विनियमन की बेहतर समझ की सुविधा प्रदान करेगा।

समझौता ज्ञापन संबंधित पक्षों के अधिकार क्षेत्र के भीतर चिकित्सा उत्पादों और महत्वपूर्ण प्रशासनिक और नियामक मामलों से जुड़े क्षेत्रों में सूचना के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देगा।

 *केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय, सूरीनाम गणराज्य सरकार के बीच 4 जून, 2023 को सूरीनाम में भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) की मान्यता के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। महामहिम राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे।

दोनों पक्षों ने अपने संबंधित कानूनों और विनियमों के अनुसार दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में निकट सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के महत्व को पहचानते हुए निम्नलिखित बिन्दुओं पर सहमति प्रकट की है:

• सूरीनाम में निर्मित और/या आयातित दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सूरीनाम में दवाओं के लिए मानकों की पुस्तक के रूप में भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को स्वीकार करना;

• भारतीय निर्माताओं द्वारा जारी किए गए प्रति आईपी विश्लेषण प्रमाणपत्र को स्वीकार करना और सूरीनाम में दवाओं के डुप्लीकेट परीक्षण की आवश्यकता समाप्त करना;

• गुणवत्ता नियंत्रण विश्लेषण के दौरान उपयोग किए जाने वाले आईपीआरएस और अशुद्धता मानकों को आईपीसी से यथोचित रूप से कम लागत पर प्राप्त करना;

• सूरीनाम में जेनेरिक दवाओं के विकास और किफायती दवाओं की उपलब्धता में योगदान की बेहतर संभावनाएं;

• विनियामक ढांचे, आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं में फार्माकोपिया की समझ को बढ़ावा देना;

• आईपी के मोनोग्राफ के विकास से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान और प्रलेखन की सुविधा प्रदान करना;

• संबंधित आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित या उसके संबंध में अपनी सेवाओं के प्रावधान में विनियामक प्राधिकरणों की क्षमता को बढ़ाना;

• मोनोग्राफ और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास में पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग की संभावनाएं तलाशना।

समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया कदम सिद्ध होगा।

भारतीय फार्माकोपिया मानकों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता से भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र को कई लाभ हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल है:

• इससे इन देशों में भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह दोहरे विनियमन, परीक्षण में दोहराव और आयात के बाद की जांच को समाप्त करेगा। इस प्रकार, भारतीय दवा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी और व्यापार अधिक लाभकारी हो जाएगा।

• इसके अलावा, आयात करने वाले देशों को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण भारतीय चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच प्राप्त होगी।

• आयातक देशों में निर्माताओं के पास जेनेरिक दवाओं का विकास करने और अपने नागरिकों को किफायती दवाएं उपलब्ध कराने में योगदान देने की बेहतर संभावना होगी।

• विभिन्न संदर्भ मानक और अशुद्धता मानक इन निर्माताओं को यथोचित लागत पर उपलब्ध हो जाएंगे।

विनियामक पद्धितियों में तालमेल भारत से दवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप फार्मास्युटिकल क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।

भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को आधिकारिक तौर पर पांच (5) देशों: अफगानिस्तान, घाना, नेपाल, मॉरीशस और सूरीनाम गणराज्य की ओर से मान्यता प्राप्त है। मंत्रालय आईपी को मान्यता देने वाले देशों का विस्तार करने का इच्छुक है।

 *केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्रामीण और शहरी भारत के पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों की सहायता के लिए केंद्रीय क्षेत्र की नई योजना ‘पीएम विश्वकर्मा’ को मंजूरी दी


इस योजना का वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये होगा

पीएम विश्वकर्मा के तहत पहले चरण में अठारह पारंपरिक क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज पांच साल की अवधि (वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28) के लिए 13,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की नई योजना “पीएम विश्वकर्मा” को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों व शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित पेशे को मजबूत करना और बढ़ावा देना है। इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों व सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना है कि विश्वकर्मा घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ सकें।

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचानपत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत बाद में कौशल उन्नयनटूलकिट प्रोत्साहनडिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान की जाएगी

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों व शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के तहत पहले चरण में अठारह पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया जाएगा। इन व्यवसायों में (i) बढ़ई (सुथार); (ii) नाव निर्माता; (iii) अस्त्र बनाने वाला; (iv) लोहार (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) गोल्डस्मिथ (सुनार); (viii) कुम्हार;  (ix) मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला, पत्थर तोड़ने वाला); (x) मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर; (xi) मेसन (राजमिस्त्री); (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।

 

*मंत्रिमंडल ने भारतीय रेल में लगभग 32,500 करोड़ रुपये की कुल 2339 किलोमीटर की सात मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी


इससे मौजूदा लाइन क्षमता को बढ़ाना,  ट्रेनों का आवागमन सुचारू बनाना, भीड़-भाड़ कम करना तथा यात्रा और परिवहन को आसान बनाना संभव होगा

परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 7.06 करोड़ मानव दिवसों के प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा

क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप 200 एमटीपीए अतिरिक्त माल ढुलाई होगी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से रेल मंत्रालय की लगभग 32,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली सात परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की। इन मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं के प्रस्तावों से परिचालन में आसानी होगी और भीड़-भाड़ में कमी आएगी, जिससे भारतीय रेल के अति व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढांचागत विकास संभव हो सकेगा।

9 राज्यों अर्थात उत्तर प्रदेशबिहारतेलंगानाआंध्र प्रदेशमहाराष्ट्रगुजरातओडिशाझारखंड और पश्चिम बंगाल के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की वृद्धि होगी। इसके अलावा राज्यों के लोगों को 7.06 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

 

क्र.सं परियोजना का नाम परियोजना की प्रकृति
1 गोरखपुर-छाबनी-वाल्मीकि नगर मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
2 सोन नगर-अंडाल मल्टी ट्रैकिंग परियोजना मल्टी ट्रैकिंग
3 नेरगुंडी-बारंग और खुर्दा रोड-विजयनगरम तीसरी लाइन
4 मुदखेड-मेडचल और महबूबनगर-धोने मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
5 गुंटूर-बीबीनगर मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
6 चोपन-चुनार मौजूदा लाइन का दोहरीकरण
7 समखिअली-गांधीधाम चार लाइन बनाना

ये खाद्यान्नउर्वरककोयलासीमेंटफ्लाई-ऐशलोहा और तैयार इस्पातक्लिंकरकच्चा तेलचूना पत्थरखाद्य तेल आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप अतिरिक्त 200 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) माल की ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा दक्ष परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और देश की लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में मदद करेगा।

ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में मल्टी-टास्किंग कार्यबल बनाकर क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएंगी और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि करेंगी।

ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो समेकित आयोजना से संभव हो सका है। इनकी बदौलत लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी।

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