केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वपूर्ण योजनाओं को मंजूरी दी प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 (2014 की संख्या 6) की तेरहवीं अनुसूची में दिए गए प्रावधान के अनुसार, तेलंगाना राज्य के मुलुगु जिले में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में आगामी संशोधन करने के लिए एक विधेयक, अर्थात् केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन), विधेयक, 2023 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी।

इसके लिए 889.07 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान होगा। नया विश्वविद्यालय न केवल राज्य में उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करेगा और आदिवासी आबादी के लाभ के लिए राज्य में आदिवासी कला, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में निर्देशात्मक और अनुसंधान संबंधी सुविधाएं प्रदान करके उच्च शिक्षा और उन्नत ज्ञान के उपायों को भी बढ़ावा देगा। यह नया विश्वविद्यालय अतिरिक्त क्षमता भी तैयार करेगा और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास करेगा।

 

*केंद्रीय मंत्रिमंडल ने (i) अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह किरायेदारी विनियमन, 2023 (ii) दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव किरायेदारी विनियमन, 2023 (iii) लक्षद्वीप किरायेदारी विनियमन, 2023 को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने (i) अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह किरायेदारी विनियमन, 2023 (ii) दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव किरायेदारी विनियमन, 2023 (iii) भारत के संविधान के अनुच्छेद 240 के अंतर्गत लक्षद्वीप किरायेदारी विनियमन, 2023 को लागू करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह किरायेदारी विनियमन, 2023; दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव किरायेदारी विनियमन, 2023; और लक्षद्वीप किरायेदारी विनियमन, 2023 मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों और अधिकारों को संतुलित करके केंद्र शासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव और लक्षद्वीप में परिसर किराए पर देने के लिए एक जवाबदेह और पारदर्शी ईको-सिस्टम बनाने में कानूनी ढांचा प्रदान करेंगे।

विनियम किराये के बाजार में निजी निवेश और उद्यमिता को बढ़ावा देंगे, प्रवासियों, औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों, पेशेवरों, छात्रों आदि सहित समाज के विभिन्न आय वर्गों के लिए पर्याप्त किराये के आवास स्टॉक का निर्माण करेंगे। इससे गुणवत्तापूर्ण किराये के आवास तक पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिलेगी और किराये के आवास बाजार को धीरे-धीरे औपचारिक बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा जो केंद्र शासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव और लक्षद्वीप में एक जीवंत, स्थाई और समावेशी किराये के आवास बाजार का निर्माण करेगा।

 

*कैबिनेट ने अंतर राज्य नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून, 1956- तेलंगाना राज्य के अनुरोध के तहत कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-II की संदर्भ शर्तों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच न्यायिक फैसले के लिए आईएसआरडब्ल्यूडी कानून की धारा 5 (1) के अन्तर्गत मौजूदा कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण- II (केडब्ल्यूडीटी-II) की आगे की संदर्भ शर्तों (टीओआर) को मंजूरी दे दी। अंतर राज्य नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून, 1956 की धारा (3) के तहत शिकायत में तेलंगाना सरकार (जीओटी) द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कानूनी राय लेने और उसी पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है।

कृष्णा नदी के पानी के उपयोग, वितरण या नियंत्रण पर दोनों राज्यों के बीच विवाद के समाधान से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में विकास के नए रास्ते खुलेंगे और इसका दोनों राज्यों के लोगों को लाभ मिलेगा, जिससे देश को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार ने आईएसआरडब्ल्यूडी कानून, 1956 की धारा 3 के तहत पक्षकार राज्यों के अनुरोध पर 02.04.2004 को कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-II का गठन किया था। इसके बाद, 02.06.2014 में तेलंगाना भारत का एक राज्य बनकर अस्तित्व मे आया। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून (एपीआरए), 2014 की धारा 89 के अनुसार, एपीआरए, 2014 की उक्त धारा के खंड (ए) और (बी) के समाधान के लिए केडब्ल्यूडीटी-II का कार्यकाल बढ़ाया गया था।

इसके बाद, तेलंगाना सरकार (जीओटी) ने 14.07.2014 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर), जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस), को एक शिकायत भेजी, जिसमें कृष्णा नदी के पानी के उपयोग, वितरण या नियंत्रण पर विवाद का जिक्र किया गया था। इस मामले में तेलंगाना सरकार द्वारा 2015 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की गई थी। 2018 में, तेलंगाना सरकार ने डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर, एमओजेएस से शिकायत को मौजूदा केडब्ल्यूडीटी-II तक केवल तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच सीमित करने का अनुरोध किया। इस मामले पर 2020 में जलशक्ति मंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष परिषद की दूसरी बैठक में चर्चा की गई। तेलंगाना सरकार ने 2021 में उक्त रिट याचिका वापस ले ली और बाद में, मामले में डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर द्वारा कानून और न्याय मंत्रालय की कानूनी राय मांगी गई।

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