केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 234 नए शहरों/कस्बों में निजी एफएम रेडियो शुरू करने को मंजूरी दी
इस कदम से मातृभाषा में स्थानीय कंटेंट को बढ़ावा मिलने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है
कवर किए गए नए क्षेत्रों में कई आकांक्षी, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित और सीमावर्ती क्षेत्र भी शामिल हैं
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निजी एफएम रेडियो चरण-3 नीति के अंतर्गत 234 नए शहरों में 730 चैनलों के लिए 784.87 करोड़ रुपये के अनुमानित आरक्षित मूल्य के साथ तीसरे बैच की आरोही (बढ़ती हुई बोली) ई-नीलामी करवाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
शहरों/कस्बों की राज्यवार सूची और नई नीलामी के लिए स्वीकृत निजी एफएम चैनलों की संख्या अनुलग्नक के रूप में यहां संलग्न है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को छोड़कर एफएम चैनल के वार्षिक लाइसेंस शुल्क (एएलएफ) के रूप में सकल राजस्व का 4 प्रतिशत लेने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। ये 234 नए शहरों/कस्बों के लिए लागू होगा।
234 नए शहरों/कस्बों में निजी एफएम रेडियो की शुरुआत से उन शहरों/कस्बों में एफएम रेडियो की अधूरी मांग पूरी होगी, जो अभी भी निजी एफएम रेडियो प्रसारण से अछूते हैं और मातृभाषा में नए/स्थानीय कंटेंट पेश करेंगे।
इससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, स्थानीय बोली और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को बढ़ावा मिलेगा। अनुमोदित किए गए ऐसे कई शहर/कस्बे आकांक्षी जिलों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में हैं। इन क्षेत्रों में निजी एफएम रेडियो की स्थापना से इन क्षेत्रों में सरकारी पहुंच और सुदृढ़ होगी।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों द्वारा इक्विटी भागीदारी के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य संस्थाओं और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बीच संयुक्त उद्यम (जेवी) सहयोग के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए उनकी इक्विटी भागीदारी के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करने के विद्युत मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस योजना का परिव्यय 4136 करोड़ रुपये है, जिसे वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक क्रियान्वित किया जाना है। इस योजना के तहत लगभग 15,000 मेगावाट की कुल जल विद्युत क्षमता को सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना को विद्युत मंत्रालय के कुल परिव्यय से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 10 प्रतिशत सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा।
विद्युत मंत्रालय द्वारा तैयार की गई योजना में राज्य सरकार के साथ केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम की सभी परियोजनाओं के लिए एक संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के गठन का प्रावधान है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकार के इक्विटी हिस्से के लिए अनुदान कुल परियोजना इक्विटी के 24 प्रतिशत पर सीमित होगा, जो प्रति परियोजना अधिकतम 750 करोड़ रुपये होगा। प्रत्येक परियोजना के लिए 750 करोड़ रुपये की सीमा पर, यदि आवश्यक हो, तो मामला-दर-मामला आधार पर पुनर्विचार किया जाएगा। अनुदान के वितरण के समय संयुक्त उद्यम में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसयू) और राज्य सरकार की इक्विटी का अनुपात बनाए रखा जाएगा।
केंद्रीय वित्तीय सहायता केवल व्यवहार्य जल विद्युत परियोजनाओं तक ही सीमित होगी। राज्यों को परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिए मुफ्त बिजली/स्टैगर फ्री बिजली और /या एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति करनी होगी।
इस योजना की शुरुआत के साथ, जलविद्युत विकास में राज्य सरकारों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा और जोखिम तथा जिम्मेदारियों को अधिक न्यायसंगत तरीके से साझा किया जाएगा। राज्य सरकारों के हितधारक बनने से भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन तथा स्थानीय कानून एवं व्यवस्था जैसी समस्याएं कम हो जाएंगी। इससे परियोजनाओं में लगने वाले समय और लागत दोनों की बचत होगी।
यह योजना पूर्वोत्तर की जल विद्युत क्षमता का पूरा उपयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्याप्त निवेश आएगा। इतना ही नहीं, परिवहन, पर्यटन, लघु-स्तरीय व्यवसाय के माध्यम से स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रोजगार/उद्यमिता के अवसर भी मिलेंगे। जल विद्युत परियोजनाओं का विकास 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) को साकार करने में भी योगदान देगा और ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण में मदद करेगा, जिससे राष्ट्रीय ग्रिड की सशक्तता, सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
भारत सरकार जल विद्युत विकास में बाधा डालने वाले मुद्दों के समाधान के लिए कई नीतिगत पहल कर रही है। जल विद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा इसे और अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए, मंत्रिमंडल ने 7 मार्च, 2019 को कई उपायों जैसे कि बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित करना, जल विद्युत खरीद दायित्व (एचपीओ), टैरिफ में वृद्धि के माध्यम से टैरिफ युक्तिकरण उपाय, भंडारण एचईपी में बाढ़ नियंत्रण के लिए बजटीय सहायता और सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर (यानी सड़कों और पुलों का निर्माण) की लागत के लिए बजटीय सहायता को मंजूरी दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘कृषि अवसंरचना कोष’ की केंद्रीय योजना के क्रमिक विस्तार को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘कृषि अवसंरचना कोष’ के अंतर्गत वित्तपोषण सुविधा की केंद्रीय योजना के क्रमिक विस्तार को मंजूरी दी है ताकि इसे और अधिक आकर्षक, प्रभावी एवं समावेशी बनाया जा सके।
देश में कृषि अवसंरचना को बढ़ाने, सुदृढ़ करने और कृषक समुदाय को मदद देने वाले एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, सरकार ने कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) योजना के दायरे का विस्तार करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। इन पहलों का उद्देश्य पात्र परियोजनाओं के दायरे का विस्तार करना और एक सुदृढ़ कृषि अवसंरचना पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त सहायक उपायों को जोड़ना है।
व्यवहार्य कृषि परिसंपत्तियां: योजना के सभी पात्र लाभार्थियों को ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं’ के अंतर्गत आने वाले बुनियादी ढांचा को बनाने की अनुमति देना। इस कदम से व्यवहार्य परियोजनाओं का विकास सुगम होने की उम्मीद है। ये सामुदायिक कृषि क्षमताओं को बढ़ाएंगी जिससे इस क्षेत्र में उत्पादकता और स्थिरता में सुधार होगा।
एकीकृत प्रसंस्करण परियोजनाएं: कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के अंतर्गत पात्र गतिविधियों की सूची में एकीकृत प्राथमिक द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाओं को शामिल करना। हालांकि, सिर्फ द्वितीयक परियोजनाएं पात्र नहीं होंगी और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजनाओं के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
पीएम कुसुम घटक-ए: किसान/किसानों के समूह/किसान उत्पादक संगठनों/सहकारी समितियों/पंचायतों के लिए पीएम-कुसुम के घटक-ए को एआईएफ के साथ मिलाने की अनुमति देना। इन पहलों के मेल का उद्देश्य कृषि बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ टिकाऊ स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देना है।
एनएबी संरक्षण: सीजीटीएमएसई के अलावा, एनएबी संरक्षण ट्रस्टी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए एफपीओ के एआईएफ क्रेडिट गारंटी कवरेज का विस्तार करने का प्रस्ताव है। क्रेडिट गारंटी विकल्पों के इस विस्तार का उद्देश्य एफपीओ की वित्तीय सुरक्षा और ऋण-योग्यता को बढ़ाना है, जिससे कृषि अवसंरचना परियोजनाओं में अधिक निवेश को बढ़ावा मिले।
2020 में प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ किए जाने के बाद से ही एआईएफ 6623 गोदामों, 688 कोल्ड स्टोर और 21 साइलो परियोजनाओं के निर्माण का समर्थन करने में मददगार रहा है, जिसके चलते देश में लगभग 500 एलएमटी की अतिरिक्त भंडारण क्षमता प्राप्त हुई है। इसमें 465 एलएमटी शुष्क भंडारण और 35 एलएमटी कोल्ड स्टोरेज क्षमता शामिल है। इस अतिरिक्त भंडारण क्षमता से सालाना 18.6 एलएमटी खाद्यान्न और 3.44 एलएमटी बागवानी उपज की बचत की जा सकती है। एआईएफ के अंतर्गत अब तक 74,508 परियोजनाओं के लिए 47,575 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इन स्वीकृत परियोजनाओं ने कृषि क्षेत्र में 78,596 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है, जिसमें से 78,433 करोड़ रुपये निजी संस्थाओं से जुटाए गए हैं।
इसके अलावा, एआईएफ के अंतर्गत स्वीकृत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने कृषि क्षेत्र में 8.19 लाख से अधिक ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद की है। एआईएफ योजना के दायरे में विस्तार से विकास को गति मिलेगी, उत्पादकता में सुधार होगा, कृषि आय बढ़ेगी और देश में कृषि की समग्र स्थिरता में योगदान मिलेगा। ये उपाय देश में कृषि अवसंरचना के समग्र विकास के जरिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दिखलाते हैं।
कैबिनेट ने भारतीय रेलवे में कनेक्टिविटी बढ़ाने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, तेल आयात कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी
परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 6,456 करोड़ रुपये है और इसे 2028-29 तक पूरा किया जाएगा
इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 114 (एक सौ चौदह) लाख मानव दिवसों का रोजगार पैदा होगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा।
नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से संभव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।
इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी।
ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
कैबिनेट ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 12 औद्योगिक नोड/शहरों को मंजूरी दी
भारत जल्द ही स्वर्णिम चतुर्भुज के आधार पर औद्योगिक स्मार्ट शहरों की एक भव्य श्रृंखला स्थापित करेगा
सरकार ने भारत के औद्योगिक परिदृश्य में क्रांति लाने के लिए 28,602 करोड़ रुपये की 12 परियोजनाओं को हरी झंडी दी
‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं के साथ मांग से पहले विश्व स्तरीय ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों का निर्माण किया जाएगा
निवेश और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत, टिकाऊ बुनियादी ढांचा
विकसित भारत के विजन के अनुरूप, ये परियोजनाएं निवेशकों के लिए उपलब्ध भूमि के साथ वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका को मजबूत करेंगी
भारत जल्द ही औद्योगिक स्मार्ट शहरों की एक भव्य श्रृंखला स्थापित करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय में, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है, जिससे औद्योगिक नोड्स और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा जो आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
10 राज्यों में फैले और रणनीतिक रूप से नियोजित 6 प्रमुख गलियारों के साथ ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाएंगी। ये औद्योगिक क्षेत्र उत्तराखंड में खुरपिया, पंजाब में राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र में दिघी, केरल में पलक्कड़, उत्तर प्रदेश में आगरा और प्रयागराज, बिहार में गया, तेलंगाना में जहीराबाद, आंध्र प्रदेश में ओरवाकल और कोप्पर्थी और राजस्थान में जोधपुर-पाली में स्थित हैं।
मुख्य विशेषताएं:
रणनीतिक निवेश: एनआईसीडीपी को बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के विजन को दर्शाता है।
स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचा: नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर “मांग से पहले” बनाया जाएगा। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि शहर उन्नत बुनियादी ढांचे से लैस हों जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक कार्यों का समर्थन करते हैं।
पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा। औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केन्द्र बनाने की परिकल्पना की गई है।
एक ‘विकसित भारत‘ का विजन:
इन परियोजनाओं की मंजूरी ‘विकसित भारत’ – एक विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में भारत को एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित करके, एनआईसीडीपी आवंटन के लिए तत्काल उपलब्ध उन्नत विकसित भूमि प्रदान करेगा, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। यह एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ या स्वालंबी भारत बनाने के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप है, जो बढ़े हुए औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन:
एनआईसीडीपी से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियां और नियोजित औद्योगीकरण के माध्यम से 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। इससे न केवल आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा जहां ये परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।
स्थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता:
एनआईसीडीपी के तहत परियोजनाओं को स्थायित्व पर ध्यान केन्द्रित करते हुए तैयार किया गया है, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए आईसीटी-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और टिकाऊ बुनियादी ढांचा प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य ऐसे औद्योगिक शहर बनाना है जो न केवल आर्थिक गतिविधि के केंद्र हों, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मॉडल भी हों।
एनआईसीडीपी के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स की स्वीकृति भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। एकीकृत विकास, टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक ध्यान देने के साथ, ये परियोजनाएं भारत के औद्योगिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए तैयार हैं।
इन नई मंजूरियों के अलावा, एनआईसीडीपी ने पहले ही चार परियोजनाओं को पूरा होते देखा है, और चार अन्य वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। यह निरंतर प्रगति भारत के औद्योगिक क्षेत्र को बदलने और एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।