प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गए महात्वपूर्ण निर्णय

Important decisions taken in the Union Cabinet meeting chaired by PM Modi

कैबिनेट ने एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को मंजूरी दे दी है।

एकीकृत पेंशन योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

सुनिश्चित पेंशन: 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत। यह वेतन न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा अवधि तक कम सेवा अवधि के लिए आनुपातिक होगा।

सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु से ठीक पहले उसकी पेंशन का 60 प्रतिशत।

सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह।

महंगाई सूचकांक: सुनिश्चित पेंशन पर, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन पर और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन पर

औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत, सेवा कर्मचारियों के मामले में सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान, ग्रेच्युटी के अतिरिक्त, सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा, सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए, इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की योजना ‘विज्ञान धारा’ को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने  तीन प्रमुख योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दे दी, जिन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटीकी एकीकृत केन्द्रीय क्षेत्र योजना विज्ञान धारा में विलय कर दिया गया है।

इस योजना के तीन व्यापक घटक हैं:

  1. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) से संबंधित संस्थागत तथा मानव क्षमता निर्माण,
  2. अनुसंधान एवं विकास और
  3. नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास तथा तैनाती।

15वें वित्त आयोग की अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान एकीकृत योजना विज्ञान धारा के कार्यान्वयन हेतु प्रस्तावित परिव्यय 10,579.84 करोड़ रुपये का है।

तीनों योजनाओं को एक ही योजना में विलय करने से निधि के उपयोग से संबंधित दक्षता बेहतर होगी और विभिन्न उपयोजनाओं/कार्यक्रमों के बीच समन्वय स्थापित होगा।

विज्ञान धारा योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से संबंधित इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमता निर्माण के साथसाथ अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है। इस योजना के कार्यान्वयन से शैक्षणिक संस्थानों में पूर्ण रूप से सुसज्जित अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को बढ़ावा देकर देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मेगा सुविधाओं तक पहुंच के बुनियादी अनुसंधान, टिकाऊ ऊर्जा, जल आदि क्षेत्र में उपयोग योग्य अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से सहयोगात्मक अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिदृश्य को मजबूत करने और पूर्णकालिक समतुल्य अनुसंधानकर्ताओं की संख्या में सुधार की दिशा में देश के अनुसंधान एवं विकास के आधार का विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण मानव संसाधन पूल के निर्माण में भी योगदान देगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लक्षित क्रियाकलाप किए जाएंगे, जिसका अंतिम लक्ष्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में महिला-पुरुष आधारित समानता लाना है। यह योजना स्कूल स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी स्तरों पर नवाचारों को बढ़ावा देने की दिशा में और लक्षित क्रियाकलापों के माध्यम से उद्योगों एवं स्टार्टअप के लिए भी सरकार के प्रयासों को सुदृढ़ करेगी। शिक्षाविदों, सरकार और उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समर्थन दिया जाएगा।

‘विज्ञान धारा’ योजना के तहत प्रस्तावित सभी कार्यक्रम विकसित भारत 2047 के विजन को साकार करने की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 5 वर्षीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगे। योजना के अनुसंधान और विकास घटक को अनुसंधान राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (एएनआरएफ) के अनुरूप बनाया जाएगा। इस योजना का कार्यान्वयन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप वैश्विक रूप से प्रचलित मानदंडों का पालन करते हुए किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी गतिविधियों के आयोजन, समन्वय और संवर्धन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है। देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तीन केंद्रीय क्षेत्र की अंब्रेला योजनाओं को पहले से कार्यान्वित किया जा रहा था। ये हैं: (i) विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थागत और मानव क्षमता निर्माण, (ii) अनुसंधान और विकास और (iii) नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और कार्य में इस्तेमाल। इन तीनों योजनाओं का एकीकृत योजना ‘विज्ञान धारा’ में विलय किया गया है।

कैबिनेट ने उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  जैव प्रौद्योगिकी विभाग के ‘उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

बायोई3 नीति की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं – विषयगत क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास तथा उद्यमिता को नवाचार-संचालित समर्थन। यह जैव विनिर्माण एवं बायो-एआई हब तथा बायोफाउंड्री की स्थापना करके प्रौद्योगिकी विकास और व्यावसायीकरण में तेजी लाएगा। हरित विकास के पुनरुत्पादन जैव अर्थव्यवस्था मॉडल को प्राथमिकता देने के साथ-साथ, यह नीति भारत के कुशल कार्यबल के विस्तार की सुविधा प्रदान करेगी और रोजगार सृजन में वृद्धि करेगी।

कुल मिलाकर, यह नीति सरकार की ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ जैसी पहलों को और मजबूत करेगी तथा ‘चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा देकर भारत को ‘हरित विकास’ के मार्ग पर आगे बढ़ने में गति प्रदान करेगी। बायोई3 नीति भविष्य को बढ़ावा देगी और आगे बढ़ाएगी, जो वैश्विक चुनौतियों के लिए अधिक स्थायी, अभिनव और जवाबी प्रतिक्रिया से संबंधित है। यह नीति विकसित भारत के लिए बायो-विजन का निर्धारण करती है।

हमारा वर्तमान युग जीवविज्ञान के औद्योगीकरण में निवेश करने का एक उपयुक्त समय है, ताकि जलवायु परिवर्तन शमन, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य जैसे कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों का समाधान करने के लिए सतत और चक्रीय तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके। जैव-आधारित उत्पादों के विकास के संदर्भ में अत्याधुनिक नवाचारों को गति देने के लिए हमारे देश में एक सुदृढ़ जैव-विनिर्माण इकोसिस्टम का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।

उच्च प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण में, दवा से लेकर सामग्री तक का उत्पादन करने, खेती और खाद्य चुनौतियों का समाधान करने और उन्नत जैव-प्रौद्योगिकीय प्रक्रियाओं के एकीकरण के माध्यम से जैव-आधारित उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की क्षमता है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, बायोई3 नीति मोटे तौर पर निम्नलिखित रणनीतिक/विषयगत क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी: उच्च मूल्य वाले जैव-आधारित रसायन, बायोपॉलिमर और एंजाइम; स्मार्ट प्रोटीन और फंक्शनल फ़ूड; सटीक जैव चिकित्सा; जलवायु सहनीय कृषि; कार्बन स्तर में कमी और इसका उपयोग; समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान।

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