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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधान साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और सिएरा लियोन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सिएरा लियोन के सूचना और संचार मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में 12 जून, 2023 को हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी।
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और अनुभवों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा। इस समझौता ज्ञापन में अपेक्षित कार्यों को उनकी व्यवस्था के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
एमईआईटीवाई, आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरान, एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते में प्रवेश किया है। यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते परिप्रेक्ष्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सेवाएं सफलतापूर्वक प्रदान की हैं। परिणामस्वरूप अनेक देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने के लिए भारत के साथ समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है।
सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने और वितरण के लिए इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस भारत द्वारा जनसंख्या पैमाने पर विकसित और कार्यान्वित डीपीआई हैं। इसका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सक्षम करना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित, अंतरसंचालनीय हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं। हालांकि डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएं और चुनौतियां हैं, हालांकि बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग की अनुमति देती है।
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मंत्रिमंडल ने डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्तर पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और एंटीगुआ व बारबुडा के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी
माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 जून 2023 को भारत के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा एंटीगुआ व बारबुडा के सूचना, संचार प्रौद्योगिकी, उपयोगिता और ऊर्जा मंत्रालय के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है। यह समझौता ज्ञापन डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्तर पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया जा रहा है।
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में गहरे सहयोग और अनुभवों तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। एमओयू में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की संकल्पना की गई है।
समझौता ज्ञापन पक्षों के हस्ताक्षर की तिथि से प्रभावी होगा और तीन साल की अवधि तक लागू रहेगा।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी, दोनों में सहयोग बढ़ाया जाएगा। इस समझौता ज्ञापन में उल्लिखित गतिविधियों को उनके प्रशासन के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरान, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं। यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते परिवेश के मद्देनजर आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की पड़ताल करने, उत्कृष्ट व्यवहारों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व को उजागर किया है तथा कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सेवाओं की सफल आपूर्ति की है। परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने के लिए भारत के साथ समझौता ज्ञापन में रुचि दिखाई है।
इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस ऐसी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाएं हैं, जिन्हें सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए भारत द्वारा जनसंख्या स्तर पर विकसित और कार्यान्वित किया गया है। इनका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर तैयार की गई हैं, अंतरसंचालनीय हैं और इन्हें उद्योग व सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये नवाचार को बढ़ावा देते हैं। वैसे, डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएं और चुनौतियां हैं, लेकिन इनकी बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग को संभव बनाती है।
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कैबिनेट ने डिजिटल परिवर्तन के लिए पूरी जनसंख्या के पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और आर्मेनिया के बीच एक हुए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जून, 2023 को भारत गणराज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और आर्मेनिया गणराज्य के उच्च तकनीक उद्योग मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए पूरी जनसंख्या के पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी।
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और डिजिटल प्रौद्योगिकियों-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
समझौता ज्ञापन दोनों देशों द्वारा किये गए हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में दोनों, जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाये जायेंगे। इस समझौता ज्ञापन में विचार की गई गतिविधियों को उनके प्रशासन के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरान, एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं। यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते परिदृश्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के कार्यान्वयन में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी लोगों को सफलतापूर्वक सेवाएँ प्रदान कीं हैं। परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने के लिए भारत के साथ समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है।
इंडिया स्टैक समाधान, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए भारत द्वारा पूरी जनसंख्या के पैमाने पर विकसित और कार्यान्वित डीपीआई हैं। इसका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतर-संचालन योग्य हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं। डीपीआई के निर्माण के सन्दर्भ में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ हैं, हालाँकि काम करने के प्राथमिक तरीके एक जैसे हैं, जिनके लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता होती है।
* मंत्रिमंडल ने ई-कोर्ट चरण-3 को 4 साल के लिए मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7210 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ चार वर्ष (2023 से आगे) के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में ई-कोर्ट परियोजना चरण-3 को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” विजन के अनुरूप, ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रमुख प्रवर्तक है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में, भारतीय न्यायपालिका की आईसीटी सक्षमता के लिए ई-कोर्ट परियोजना वर्ष 2007 से कार्यान्वयन के अधीन है, जिसका दूसरा चरण वर्ष 2023 में समाप्त हो गया है। भारत में ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण “पहुंच और समावेशन” के दर्शन पर आधारित है।
चरण-1 और चरण-2 के लाभों को अगले स्तर पर ले जाते हुए, ई-कोर्ट चरण-3 का उद्देश्य विरासत रिकॉर्ड सहित पूरे न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और पेपरलेस कोर्ट की दिशा में आगे बढ़ते हुए न्याय की अधिक से अधिक आसान व्यवस्था शुरू करना है। इसके अलावा ई-सेवा केंद्रों के साथ सभी न्यायालय परिसरों की परिपूर्णता के माध्यम से ई-फाइलिंग/ई-भुगतान का सार्वभौमिकरण करना भी है। इससे मामलों को पुनर्निधारण या प्राथमिकता देते समय न्यायाधीशों और रजिस्ट्रियों के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम और कुशल स्मार्ट प्रणालियां स्थापित होंगी। चरण-3 का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच स्थापित करना है, जो न्यायालयों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और पेपरलेस इंटरफ़ेस प्रदान करेगा।
ई-कोर्ट चरण-3 की केंद्र प्रायोजित योजना न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार और उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी की संयुक्त साझेदारी के तहत संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत तरीके से न्यायिक विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही है ताकि ऐसी न्याय प्रणाली विकसित की जा सके जो सभी हितधारकों के लिए प्रणाली को अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय, पूर्वानुमानित और पारदर्शी बनाकर न्याय में आसानी को बढ़ावा दे सके।
ई-कोर्ट चरण-3 के घटक इस प्रकार हैं:
क्र.सं. | योजना घटक | लागत अनुमान (कुल करोड़ रुपये में) | |
1 | केस रिकॉर्ड की स्कैनिंग, डिजिटलीकरण और डिजिटल संरक्षण | 2038.40 | |
2 | क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर | 1205.23 | |
3 | मौजूदा न्यायालयों के लिए अतिरिक्त हार्डवेयर | 643.66 | |
4 | नए स्थापित न्यायालयों में बुनियादी ढाँचा | 426.25 | |
5 | 1150 वर्चुअल न्यायालयों की स्थापना | 413.08 | |
6 | 4400 पूर्ण रूप से कार्यात्मक ईसेवा केंद्र | 394.48 | |
7 | पेपरलेस कोर्ट | 359.20 | |
8 | सिस्टम और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट | 243.52 | |
9 | सौर ऊर्जा बैकअप | 229.50 | |
10 | वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था | 228.48 | |
11 | ई-फाइलिंग | 215.97 | |
12 | कनेक्टिविटी (प्राथमिक + अधिकता) | 208.72 | |
13 | क्षमता निर्माण | 208.52 | |
14 | 300 न्यायालय परिसर रूम में क्लास (लाइव-ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम)। | 112.26 | |
15 | मानव संसाधन | 56.67 | |
16 | भविष्य की तकनीकी प्रगति | 53.57 | |
17 | न्यायिक प्रक्रिया पुनः इंजीनियरिंग | 33.00 | |
18 | विकलांग अनुकूल आईसीटी सक्षम सुविधाएं | 27.54 | |
19 | एनएसटीईपी | 25.75 | |
20 | ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) | 23.72 | |
21 | ज्ञान प्रबंधन प्रणाली | 23.30 | |
22 | उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों के लिए ई-ऑफिस | 21.10 | |
23 | अंतर-संचालित आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) के साथ एकीकरण | 11.78 | |
24 | एस3 डब्ल्यूएएएस प्लेटफार्म | 6.35 | |
कुल | 7210 |
योजना के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:
- जिन नागरिकों की प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं है, वे ई-सेवा केंद्रों से न्यायिक सेवा तक पहुंच सकते हैं, इस प्रकार डिजिटल विभाजन को पाटा जा सकता है।
- अदालती रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण इस परियोजना में सभी अन्य डिजिटल सेवाओं की नींव भी रखता है। यह पेपर आधारित फाइलिंग को कम करके और दस्तावेजों की आवाजाही को कम करके प्रक्रियाओं को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने में सक्षम बनाता है।
- न्यायालय की कार्यवाही में वर्चुअल भागीदारी के कारण अदालती कार्यवाही से जुड़ी लागत जैसे गवाहों, न्यायाधीशों और अन्य हितधारकों की यात्रा पर आने वाला खर्च कम हो जाता है।
- न्यायालय फीस, दंड और जुर्माने का भुगतान कहीं से भी, कभी भी किया जा सकता है।
- दस्तावेज़ दाखिल करने में लगने वाले समय और प्रयास को कम करने के लिए ई–फ़ाइलिंग का विस्तार। इससे मानवीय त्रुटियां कम हो जाती हैं क्योंकि दस्तावेजों की स्वचालित रूप से जांच की जाती है और आगे भी पेपर आधारित रिकॉर्ड बनाने को रोका जा सकता है।
- “स्मार्ट” इकोसिस्टम का निर्माण करके एक सहज उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करने के लिए एएल और इसकी सबसेट मशीन लर्निंग (एमएल), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग। रजिस्ट्रियों में कम डेटा प्रविष्टि और न्यूनतम फ़ाइल जांच होगी जिससे बेहतर निर्णय लेने और नीति नियोजन में सुविधा होगी। इसमें स्मार्ट शेड्यूलिंग, स्मार्ट प्रणाली की परिकल्पना की गई है जो न्यायाधीशों और रजिस्ट्रियों के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाती है और न्यायाधीशों और वकीलों की क्षमता की अधिकतम पूर्वानुमान और अनुकूलन की अनुमति देती है।
• यातायात उल्लंघन के मामलों के निर्णय से परे वर्चुअल अदालतों के विस्तार से अदालत में वादी या वकील की उपस्थिति समाप्त हो रही है।
• अदालती कार्यवाही में सटीकता और पारदर्शिता बढ़ी।
• एनएसटीईपी (नेशनल सर्विंग एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसेज) के और विस्तार करके अदालती समन की स्वचालित डिलीवरी पर जोर दिया गया है, जिससे केस के ट्रायल में होने वाली देरी में काफी कमी आ रही है।
- अदालती प्रक्रियाओं में उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग उन्हें अधिक कुशल और प्रभावी बना देगा, जिससे लंबित मामलों को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1907546
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1910056
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1941500
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1945462
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1884164
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1848737
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/sep/doc2023913251301.pdf
* उज्जवला योजना के विस्तार को मंत्रिमंडल की मंजूरी
तीन वर्षों में 75 लाख अतिरिक्त एलपीजी कनेक्शन जारी किए जाएंगे
इससे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों की कुल संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों में 75 लाख एलपीजी कनेक्शन जारी करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के विस्तार को मंजूरी दे दी है। 75 लाख अतिरिक्त उज्ज्वला कनेक्शन के प्रावधान से पीएमयूवाई लाभार्थियों की कुल संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी।
2014 बनाम 2023 में प्रमुख एलपीजी विवरण
(इकाई) | 01.04.2014 | 01.04.2016 | 01.04.2023 | |
राष्ट्रीय एलपीजी कवरेज | प्रतिशत | 55.90 प्रतिशत | 61.9 प्रतिशत | संतृप्ति के करीब |
ओएमसी के बॉटलिंग संयंत्रों की संख्या | संख्या में | 186 | 188 | 208 |
भारत में एलपीजी वितरकों की संख्या | संख्या में | 13896 | 17916 | 25386 |
भारत में घरेलू सक्रिय एलपीजी ग्राहक | लाख में | 1451.76 | 1662.5 | 3140.33 |
उज्ज्वला 2.0 के मौजूदा तौर-तरीकों के अनुसार, उज्ज्वला लाभार्थियों को पहली रिफिल और स्टोव भी मुफ्त प्रदान किया जाएगा।
पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष 12 रिफिल तक 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपये की लक्षित सब्सिडी प्रदान की जा रही है। पीएमयूवाई को जारी रखे बिना पात्र गरीब परिवारों को योजना के तहत उचित लाभ नहीं मिल पाएगा।
खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के जरिये महिलाओं के जीवन में सुगमता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 2.4 अरब लोग (जो वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई है), खुली आग या मिट्टी के तेल, बायोमास (जैसे लकड़ी, गोबर और फसल के अपशिष्ट) से चलने वाले अकुशल चूल्हे पर और कोयले से खाना पकाने पर निर्भर हैं। इससे हानिकारक घरेलू वायु प्रदूषण होता है, जिससे 2020 में सालाना अनुमानित 3.2 मिलियन मौतें होती हैं, जिसमें 237,000 से अधिक मौतें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होती हैं। एक स्थायी और प्रदूषण मुक्त भविष्य प्राप्त करने के लिए घरेलू वायु प्रदूषण के मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की मुश्किलें दूर करने के लिए।
अतीत में, भारत में गरीब समुदाय, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग, अपने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जाने बिना लकड़ी, कोयला और गोबर के उपलों जैसे पारंपरिक ईंधन का उपयोग करते थे। उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। निमोनिया, फेफड़ों के कैंसर, इस्केमिक हृदय और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों जैसी बीमारियों के कारण मृत्यु दर का जोखिम बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किया गया है। खाना पकाने के लिए गैर-नवीकरणीय लकड़ी के ईंधन से गीगाटन सीओ2 उत्सर्जन होता है, और आवासीय ठोस ईंधन जलाने से 58 प्रतिशत ब्लैक कार्बन का उत्सर्जन होता है। ठोस बायोमास के अधूरे जलावन के कारण घरेलू वायु प्रदूषण (एचएपी) बढ़ाने में भी उनकी बड़ी भूमिका होती है।
शोध यह भी इंगित करता है कि यह एक लैंगिक समस्या है: लड़कियों और महिलाओं को ठोस ईंधन के बढ़ते जोखिम का सामना करना पड़ता है। ठोस ईंधन के साथ खाना पकाने से संयुक्त राष्ट्र के पांच सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति धीमी हो जाती है।
पीएमयूवाई योजना ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है। एलपीजी तक आसान पहुंच के साथ, महिलाओं पर अब जलाऊ लकड़ी या अन्य पारंपरिक ईंधन इकट्ठा करने का बोझ नहीं है, जिसके लिए अक्सर लंबी और श्रमसाध्य यात्रा की आवश्यकता होती है। यह नई सुविधा उन्हें सामुदायिक जीवन में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने और आय-सृजन के अन्य अवसर देती है।
इसके अलावा, उज्ज्वला योजना ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में योगदान किया है, क्योंकि अब उन्हें जलाऊ लकड़ी या ईंधन इकट्ठा करने के लिए अलग-थलग और संभावित असुरक्षित क्षेत्रों में जाने की जरूरत नहीं है।
एलपीजी कवरेज का विस्तार करने की पहल
- पहल (प्रत्यक्ष हस्तान्तरित लाभ): सब्सिडी वाले मूल्य पर एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराने के बजाय, उन्हें बाजार मूल्य पर बेचा गया और लागू सब्सिडी सीधे इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यक्ति के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी गई। इससे “फर्जी” खातों और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए घरेलू सिलेंडरों के अवैध उपयोग में कमी आई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि केवल इच्छित लाभार्थियों को ही लाभ मिले।
- सब्सिडी छोड़ दें: जबरदस्ती सब्सिडी हटाने के बजाय, लोगों को स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया। व्यापक प्रचार के माध्यम से, लाखों लोगों ने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ दी, जिससे उन लोगों को धन पुनर्निर्देशित करने में मदद मिली जिन्हें वास्तव में एलपीजी सिलेंडर प्राप्त करने में सहायता की आवश्यकता थी।
- 2020 में कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त रिफिल योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत 14.17 करोड़ एलपीजी रिफिल के लिए पीएमयूवाई लाभार्थियों को 9670.41 करोड़ रुपये दिए गए।
- पीएमयूवाई लाभार्थियों की प्रति व्यक्ति खपत जो 2018-19 में 3.01 थी, वह 2022-23 में बढ़कर 3.71 हो गई है। पीएमयूवाई लाभार्थियों ने अब (2022-23) एक वर्ष में 35 करोड़ से अधिक एलपीजी रिफिल लिया।
*केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में 9589 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को स्वीकृति दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड, साइप्रस द्वारा मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में 9589 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी अनिवार्य ओपन ऑफर के माध्यम से मौजूदा प्रमोटर शेयरधारकों और सार्वजनिक शेयरधारकों से शेयरों के हस्तांतरण के माध्यम से मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड, साइप्रस द्वारा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड में सूचीबद्ध एक सार्वजनिक लिमिटेड भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के 76.1 प्रतिशत इक्विटी शेयरों के अधिग्रहण के लिए है। मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में कुल विदेशी निवेश 90.1 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
इस प्रस्ताव का मूल्यांकन सेबी, आरबीआई, सीसीआई और अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा किया गया है। संबंधित विभागों, आरबीआई और सेबी द्वारा प्रस्ताव की जांच के बाद स्वीकृति दी गई है और यह इस संबंध में लागू सभी नियमों और विनियमों की पूर्ति के अधीन है।
विदेशी निवेशक कंपनी, मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड में संपूर्ण निवेश एडवेंट फंड्स के पास है, जो विभिन्न लिमिटेड पार्टनर्स (एलपी) से निवेश एकत्र करता है। एडवेंट फंड का प्रबंधन एडवेंट इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की एक निगमित इकाई है। 1984 में स्थापित एडवेंट इंटरनेशनल कॉरपोरेशन ने 42 देशों में लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। एडवेंट इंडिया ने 2007 से भारत में निवेश का शुभारंभ किया है और अब तक इसने स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाओं, औद्योगिक विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुओं और आईटी सेवा क्षेत्रों की 20 भारतीय कंपनियों में लगभग 34000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
स्वीकृत निवेश का लक्ष्य नये रोजगारों का सृजन करना, संयंत्र और उपकरणों में निवेश के माध्यम से भारतीय कंपनी की क्षमता का विस्तार करना है। एडवेंट ग्रुप के साथ साझेदारी से व्यवसाय संचालन का विस्तार करके मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को बड़ा मंच प्रदान करने की उम्मीद है। इससे परिचालन उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने और विकास में तेजी लाने के अलावा भारतीय कंपनी के पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार और प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के मौजूदा पेशेवरों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे।
सरकार ने त्वरित आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और कौशल के माध्यम से अन्य लाभों के साथ-साथ घरेलू उत्पादकता बढ़ाने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए पूरक पूंजी हेतु वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने के लिए फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक निवेशक-अनुकूल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व्यवस्था कार्यान्वित की है।
मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, ग्रीनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में स्वचालित व्यवस्था के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में, स्वचालित व्यवस्था के तहत 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है और 74 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है। पिछले पांच वर्षों (2018-19 से 2022-23 तक) के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह 43,713 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में एफडीआई में 58 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।