*केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और नीदरलैंड के बीच आशय ज्ञापन (एमओआई) को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और मानव विषयों से जुड़े अनुसंधान के बारे में चिकित्सा मूल्यांकन बोर्ड, स्वास्थ्य और युवा देखभाल निरीक्षणालय, केंद्रीय समिति की ओर से स्वास्थ्य, कल्याण, खेल मंत्रालय, नीदरलैंड के बीच “चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर” हस्ताक्षरित एक आशय पत्र (एमओआई) के बारे में अवगत कराया गया। इस आशय पत्र पर 7 नवंबर, 2023 को हस्ताक्षर किए गए थे।
यह आशय ज्ञापन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और चिकित्सा मूल्यांकन बोर्ड, स्वास्थ्य और युवा देखभाल निरीक्षणालय तथा अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप चिकित्सा उत्पादों के विनियमन से संबंधित मामलों में मानव विषयों से जुड़े अनुसंधान पर केंद्रीय समिति की ओर से स्वास्थ्य, कल्याण और खेल मंत्रालय नीदरलैंड के बीच उपयोगी सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक ढांचा स्थापित करना चाहता है।
दोनों देशों के नियामक प्राधिकरणों के बीच यह आशय ज्ञापन फार्मास्युटिकल उपयोग के लिए कच्चा माल, जैविक उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक उत्पादों सहित फार्मास्यूटिकल्स के संबंध में चिकित्सा उत्पादों के विनियमन की बेहतर समझ की सुविधा प्रदान करेगा।
यह विनियामक प्रथाओं में समावेश से भारत से दवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मदद कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप फार्मास्युटिकल क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए बेहतर रोजगार के अवसरों के सृजन में सहायता प्रदान कर सकता है।
यह आशय ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा जिससे विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि होगी और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढाया गया कदम होगा।
*मंत्रिमंडल ने भारत और डोमिनिकन गणराज्य के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) तथा डोमिनिकन गणराज्य के चिकित्सा, खाद्य और स्वच्छता उत्पाद संगठन महानिदेशालय, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक सहायक मंत्रालय के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया। इस समझौता ज्ञापन पर 4 अक्टूबर, 2023 को हस्ताक्षर किए गए थे।
यह समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों और पक्षकारों के अधिकार क्षेत्र के भीतर प्रासंगिक प्रशासनिक और विनियामक मामलों से संबंधित क्षेत्रों में सूचना के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देगा। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में चल रही घटिया, नकली दवाओं के मुद्दों से निपटने के लिए, समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के माध्यम से विनियामक एजेंसियों के बीच बातचीत की सुविधा प्रदान की जाती है।
विनियामक प्रथाओं के संयोजन से भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षित पेशेवरों के लिए फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।
यह समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम होगा।
*कैबिनेट ने डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्केल पर लागू सफल डिजिटल समाधान साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और केन्या के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और केन्या सरकार के सूचना, संचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्केल पर लागू सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर 5 दिसम्बर, 2023 को हस्ताक्षर किए गए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया।
विवरण:
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग और डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों को लागू करने में अनुभवों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों-आधारित समाधानों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
प्रभाव:
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के क्षेत्र में जी2जी और बी2जी दोनों द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा।
लाभार्थियों की संख्या:
एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
पृष्ठभूमि:
एमईआईटीवाई आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है। इस अवधि के दौरान, एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते में प्रवेश किया है। यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है। इस बदलते प्रतिमान में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपी) के कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी सफलतापूर्वक जनता को सेवाएं प्रदान की हैं। परिणामस्वरूप, कई देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने और भारत के साथ समझौता ज्ञापन में प्रवेश करने में रुचि दिखाई है।
इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए जनसंख्या स्केल पर भारत द्वारा विकसित और लागू एक डीपीआई है। इसका उद्देश्य कनेक्टिविटी को बढ़ाना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवा तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है। ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतरसंचालनीय हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो नवीन और समावेशी समाधानों को बढ़ावा देते हैं। हालाँकि, डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ हैं, लेकिन बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग की अनुमति देती है।
*कैबिनेट ने चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और इक्वाडोर के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और एजेंसिया नैशनल डी रेगुलेशन, कंट्रोल वाई विजिलेंसिया सैनिट्रिया – एआरसीएसए, डॉक्टर लियोपोल्डो इज़क्विएटा पेरेज़, इक्वाडोर गणराज्य के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर 07 नवंबर 2023 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया।
लाभ
समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के बीच नियामक पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा तथा चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेहतर समन्वय में मदद करेगा।
रोजगार सृजन क्षमता:
एमओयू के कारण विनियामक तौर-तरीकों में समन्वय से भारत से दवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मदद मिल सकती है और परिणामस्वरूप औषधि क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए बेहतर रोजगार के अवसरों के सृजन में मदद मिल सकती है।
आत्मनिर्भर भारत:
समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे विदेशी मुद्रा की आय होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम सिद्ध होगा।
पृष्ठभूमि:
सीडीएससीओ, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का एक संलग्न कार्यालय है, का एक अधीनस्थ कार्यालय है। सीडीएससीओ भारत में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है। एजेंसिया नैशनल डी रेगुलेशन, कंट्रोल वाई विजिलेंसिया सैनिट्रिया – एआरसीएसए, डॉक्टर लियोपोल्डो इज़क्विएटा पेरेज़ इक्वाडोर गणराज्य में इन उत्पादों को विनियमित करने वाली नियामक एजेंसी है।
*केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईयू-भारत व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के तहत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम कार्य व्यवस्था पर भारत और यूरोपीय आयोग के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को ईयू-भारत व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) के तहत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम, इसकी आपूर्ति श्रृंखला एवं नवाचार पर कार्य व्यवस्था को लेकर भारत सरकार और यूरोपीय आयोग के बीच 21 नवंबर, 2023 को हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया।
विवरण:
इस एमओयू का उद्देश्य उद्योगों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों की उन्नति के लिए सेमीकंडक्टर को बढ़ाने की दिशा में भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग को मजबूत करना है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर की तारीख यानी 21 नवंबर, 2023 से प्रभावी होगा। यह समझौता तब तक जारी रहेगा जब तक कि दोनों पक्ष यह पुष्टि नहीं कर लेते कि इस उपकरण के उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया गया है या जब तक एक पक्ष इस समझौते में अपनी भागीदारी बंद नहीं कर देता।
प्रभाव:
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करने और पूरक शक्तियों का लाभ उठाने में जी2जी और बी2बी दोनों द्विपक्षीय सहयोग मदद करेंगे।
पृष्ठभूमि:
इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सक्रिय रूप से काम कर रहा है। भारत में मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर का विकास और डिस्प्ले इकोसिस्टम को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सेमीकंडक्टर विकास और डिस्प्ले विनिर्माण परितंत्र प्रोग्राम शुरू किया गया था। इस प्रोग्राम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर फैब, डिस्प्ले फैब, कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन, फोटोनिक्स/सेंसर/डिस्क्रिट सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण, मार्किंग तथा पैकेजिंग (एटीएमपी)/आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) के लिए फैब स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करना है। इसके अलावा, देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण परितंत्र के विकास हेतु भारत की रणनीतियों को आगे बढाने के लिएडिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन (डीआईसी) के तहत भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की गई है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयको द्विपक्षीय और क्षेत्रीय ढांचे के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते और अग्रणी क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का भी काम सौंपा गया है। इस उद्देश्य के साथ, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयने द्विपक्षीय सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारत को विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरने में सक्षम बनाने वालीआपूर्ति श्रृंखला को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देशों के समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन/एमओसी/समझौते किए हैं। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला तथा पूरक शक्तियों का लाभ उठाने हेतु द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाते हुए, भारत और यूरोपीय संघ ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद सेमीकंडक्टर संबंधित व्यापार के अवसरों और साझेदारी की दिशा में एक और कदम है।
*केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16वें वित्त आयोग के लिए पदों के सृजन की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16वें वित्त आयोग के लिए संयुक्त सचिव स्तर के तीन पदों यानी संयुक्त सचिव के दो पद और आर्थिक सलाहकार के एक पद के सृजन को मंजूरी दे दी है। इस वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर, 2023 की अधिसूचना के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुपालन में किया गया था।
आयोग को अपने कार्यों को पूरा करने में सहायता करने के लिए इन नए सृजित पदों की आवश्यकता है। आयोग में अन्य सभी पद प्रदत्त शक्तियों के अनुसार पहले ही सृजित किये जा चुके हैं।
*कैबिनेट ने (i) एसईसीएल और एमपीपीजीसीएल के संयुक्त उद्यम के जरिये 1×660 मेगावाट के ताप बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड; और (ii) एमबीपीएल के जरिये 2×800 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड को इक्विटी निवेश की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज (i) एसईसीएल और एमपीपीजीसीएल के संयुक्त उद्यम के जरिये 1×660 मेगावाट के ताप बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल); और (ii) महानदी बेसिन पॉवे लिमिटेड (एमबीपीएल – एमसीएल की सहायक कंपनी) के जरिये 2×800 मेगावाट ताप बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) के इक्विटी निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी ।
सीसीईए ने एसईसीएल, एमसीएल और सीआईएल के इक्विटी निवेश के प्रस्ताव को निम्नानुसार मंजूरी दे दी है:
- क) एसईसीएल द्वारा 823 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी (±20 प्रतिशत), 70:30 के ऋण-इक्विटी अनुपात पर विचार करते हुए और जेवी कंपनी में 49 प्रतिशत इक्विटी निवेश के साथ एसईसीएल और एमपीपीजीसीएल के संयुक्त उद्यम से मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के ग्राम चचाई में अमरकंटक ताप बिजली स्टेशन पर प्रस्तावित 1×660 मैगावाट का सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट 5,600 करोड़ रुपये (±20 प्रतिशत की सटीकता) के अनुमानित परियोजना पूंजीगत व्यय के साथ।
(बी) एमबीपीएल के माध्यम से ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में प्रस्तावित 2×800 मेगावाट के सुपर-क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट के लिए एमसीएल द्वारा 4,784 करोड़ रुपये (±20 प्रतिशत) की इक्विटी पूंजी, अनुमानित परियोजना पूंजीगत व्यय 15,947 करोड़ रुपये (सटीकता ±20 प्रतिशत)।
(सी) 2×800 मेगावाट सुपर-क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए एमसीएल की एक एसपीवी एमबीपीएल को मंजूरी।
(डी) उपरोक्त (ए) के अनुसार एसईसीएल-एमपीपीजीसीएल (रु.823 करोड़ ± 20 प्रतिशत) के जेवी में और एमसीएल की 100 प्रतिशत पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एमबीपीएल में सीआईएल द्वारा अपने शुद्ध मूल्य के 30 प्रतिशत से अधिक इक्विटी निवेश (उपरोक्त बिंदु (बी) के अनुसार रु. 4,784 करोड़ ± 20 प्रतिशत)।
दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) देश को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से निम्नलिखित दो पिथेड थर्मल पावर प्लांट स्थापित करेगी –
(क) एसईसीएल और मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (एमपीपीजीसीएल) के बीच संयुक्त उद्यम के माध्यम से, मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के ग्राम चचाई में अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन पर 1×660 मेगावाट का सुपरक्रिटिकल कोयला-आधारित थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी);
(ख) एमसीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ‘महानदी बेसिन पावर लिमिटेड’ (एमबीपीएल) के माध्यम से, ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में 2×800 मेगावाट का सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट।