- कैबिनेट ने एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी के लिए राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन को नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर में वैज्ञानिक ‘एच’ स्तर (वेतनमान स्तर -15) पर निदेशक के एक पद के सृजन को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर में वैज्ञानिक एच (वेतनमान स्तर -15) के स्तर पर निदेशक के रूप में एक पद के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो इसके लिए मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण क्षेत्रों को एक साथ लाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी के लिए बहु-मंत्रालयी और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक के रूप में भी कार्य करेंगे।
वित्तीय संभावनाएं:
वेतन स्तर 15 (1,82,000 रुपये – 2,24,100 रुपये) के लिए वैज्ञानिक ‘एच’ स्तर पर राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान के निदेशक के एक पद के सृजन से लगभग 35.59 लाख रुपये वार्षिक का वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर के निदेशक मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण क्षेत्रों को एक साथ लाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी के लिए बहु-मंत्रालयी और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक के रूप में भी कार्य करेंगे। राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के लिए एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारियों की दिशा में अनुसंधान और विकास को मजबूत करने के लिए एक कार्यक्रम को 01.01.2024 को पहले ही मंजूरी दे दी गई है।
रोजगार सृजन क्षमता समेत प्रमुख प्रभाव: राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन, भारत को वन हेल्थ दृष्टिकोण को संस्थागत बनाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। यह मनुष्यों, पशुओं, पौधों और पर्यावरण के स्वास्थ्य के संदर्भ में समग्र और स्थायी तरीके से समाधान निकालने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के जारी/योजनाबद्ध कार्यक्रमों का भी लाभ उठाएगा।
पृष्ठभूमि:
पिछले कुछ दशकों में, निपाह, एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा, सार्स कोव-2 जैसी कई संक्रामक बीमारियों का प्रकोप, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय चिंता बन गयी है। इसके अलावा, पशु रोग, जैसे खुरपका और मुंहपका रोग, मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग, सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन बुखार आदि का प्रकोप; किसानों के आर्थिक कल्याण और देश की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। ये बीमारियाँ वन्य जीवन को भी प्रभावित करती हैं और उनके संरक्षण को खतरे में डालती हैं।
मनुष्यों, जानवरों और पौधों सहित पर्यावरण को खतरे में डालने वाली चुनौतियों की जटिलता और अंतर्संबंध, जहां वे सह-अस्तित्व में होते हैं, को देखते हुए ‘सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक समग्र और एकीकृत ‘वन हेल्थ’ आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, 13 सरकारी विभागों के सहयोग से “राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन” के रूप में एक एकीकृत फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जो सभी क्षेत्रों की प्राथमिकता वाली गतिविधियों का समन्वय और तालमेल करेगा, जैसे प्रकोप/महामारी की शीघ्र पहचान के लिए सभी क्षेत्रों में एकीकृत और समग्र अनुसंधान एवं विकास कार्य करना, ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण का पालन करना और टीके, उपचार, निदान, मोनोक्लोनल और अन्य जीनोमिक उपकरण आदि निपटने के चिकित्सा उपायों में तेजी लाने की दिशा में लक्षित अनुसंधान एवं विकास के लिए रोडमैप विकसित करना, इत्यादि।
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के लिए लंबी छलांग: कैबिनेट ने तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयां लगाने को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास’ के अंतर्गत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयां लगाने को मंजूरी प्रदान की है। अगले 100 दिन के भीतर तीनों इकाइयों का निर्माण शुरू हो जाएगा।
भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास का कार्यक्रम 21.12.2021 को कुल 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून, 2023 में गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई लगाने के लिए माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी।
इस इकाई का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और इकाई के पास एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम उभर रहा है।
स्वीकृत की गई तीन सेमीकंडक्टर इकाइयां हैं:
- 50,000 डब्ल्यूएफएसएमक्षमतावाली सेमीकंडक्टर फैब:
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (“टीईपीएल”) ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी।
निवेश: इस फैब का निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जाएगा। इस फैब में 91,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
प्रौद्योगिकी साझेदार: पीएसएमसी लॉजिक और मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध है। ताइवान में पीएसएमसी की 6 सेमीकंडक्टर फाउंड्री हैं।
क्षमता: प्रति माह 50,000 वेफर स्टार्ट (डब्ल्यूएसपीएम)
कवर किए गए खंड:
- 28 एनएमटेकनोलॉजीसहित हाई परफॉर्मेंस कंप्यूट चिप्स
- इलेक्ट्रिकवाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए पावर मैनेजमेंट चिप्स। पावर मैनेजमेंट चिप्स, हाई वोल्टेज, हाई करंट एप्लीकेशन्स हैं।
- असममें सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई:
असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (“टीएसएटी”) एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगी।
निवेश: इस इकाई की स्थापना 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से की जाएगी।
प्रौद्योगिकी: टीएसएटी द्वारा सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप और आईएसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है।
क्षमता: प्रतिदिन 48 मिलियन
कवर किए गए खंड: ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन, आदि।
- विशिष्ट चिप्स के लिए सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई:
गुजरात के साणंद में सीजी पावर द्वारा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना की जाएगी।
निवेश: इस इकाई की स्थापना 7,600 करोड़ रुपये के निवेश से की जाएगी।
प्रौद्योगिकी साझेदार: रेनेसास एक प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनी है जो विशिष्ट चिप्स पर केंद्रित है। यह 12 सेमीकंडक्टर सुविधाओं का संचालन करती है और माइक्रोकंट्रोलर, एनालॉग, पावर और सिस्टम ऑन चिप (‘एसओसी)’ उत्पादों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
कवर किए गए खंड: सीजी पावर सेमीकंडक्टर इकाई उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव और पावर एप्लीकेशन्स के लिए चिप्स का निर्माण करेगी।
क्षमता: प्रतिदिन 15 मिलियन
इन इकाइयों का सामरिक महत्व:
- इंडियासेमीकंडक्टर मिशन ने बहुत ही कम समय में चार बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। इन इकाइयों से भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित हो जायेगा।
- भारतके पास पहले से ही चिप डिजाइन में गहन क्षमताएं मौजूद हैं। इन इकाइयों के साथ, हमारा देश चिप विनिर्माण (या चिप फेब्रिेकेशन) में क्षमता विकसित कर लेगा।
- आजकी घोषणा के साथ ही भारत में उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा।
रोजगार की संभावना:
- येइकाइयां 20 हजार उन्नत प्रौद्योगिकी कार्यों में प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 60 हजार अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन करेंगी।
- येइकाइयां डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण और अन्य सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोजगार सृजन में तेजी लाएंगी।
· केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम-सूर्य घर को मंजूरी दी: एक करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करने हेतु मुफ्त बिजली योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करने और एक करोड़ घरों के लिए हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करने हेतु 75,021 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री ने 13 फरवरी, 2024 को इस योजना की शुरुआत की थी।
इस योजना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
आवासीय छत पर सौर ऊर्जा के लिए केन्द्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए)
- यह योजना 2 किलोवाट क्षमता वाली प्रणाली के लिए प्रणालीगत लागत के 60 प्रतिशत और 2 से 3 किलोवाट क्षमता वाली प्रणाली के लिए अतिरिक्त प्रणालीगत लागत के 40 प्रतिशत के बराबर सीएफए प्रदान करेगी। सीएफए को 3 किलोवाट पर सीमित किया जाएगा। मौजूदा मानक कीमतों पर, इसका आशय 1 किलोवाट क्षमता वाली प्रणाली के लिए 30,000 रुपये, 2 किलोवाट क्षमता वाली प्रणाली के लिए 60,000 रुपये और 3 किलोवाट या उससे अधिक वाली प्रणाली के लिए 78,000 रुपये की सब्सिडी से होगा।
- इस योजना में शामिल होने वाले परिवार राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से सब्सिडी के लिए आवेदन करेंगे और छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करने के लिए एक उपयुक्त विक्रेता का चयन करने में सक्षम होंगे। राष्ट्रीय पोर्टल स्थापित की जाने वाली प्रणाली के उचित आकार, लाभ की गणना, विक्रेता की रेटिंग आदि के बारे में प्रासंगिक जानकारी प्रदान करके परिवारों को उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहायता प्रदान करेगा।
- इस योजना में शामिल होने वाले परिवार 3 किलोवाट तक के आवासीय आरटीएस प्रणाली की स्थापना हेतु वर्तमान में लगभग 7 प्रतिशत के गारंटी-मुक्त कम-ब्याज वाले ऋण का लाभ उठाने में सक्षम होंगे।
योजना की अन्य विशेषताएं
- ग्रामीण क्षेत्रों में छत पर सौर ऊर्जा अपनाने के अनुकरणीय उदाहरण के रूप में देश के प्रत्येक जिले में एक आदर्श सौर गांव विकसित किया जाएगा।
- शहरी स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थाएं भी अपने क्षेत्रों में आरटीएस स्थापनाओं को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रोत्साहनों से लाभान्वित होंगी।
- यह योजना नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी (आरईएससीओ) आधारित मॉडलों के लिए भुगतान संबंधी सुरक्षा के लिए एक घटक के साथ-साथ आरटीएस में नवीन परियोजनाओं के लिए एक कोष प्रदान करेगी।
परिणाम और प्रभाव
इस योजना के माध्यम से, शामिल घर बिजली बिल बचाने के साथ-साथ डिस्कॉम को अधिशेष बिजली की बिक्री के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे। 3 किलोवाट क्षमता वाली एक प्रणाली एक घर के लिए औसतन प्रति माह 300 से अधिक यूनिट उत्पन्न करने में सक्षम होगी।
प्रस्तावित योजना के परिणामस्वरूप आवासीय क्षेत्र में छत पर स्थापित सौर ऊर्जा के माध्यम से 30 गीगावॉट की सौर क्षमता की बढ़ोतरी होगी, जिससे 1000 बीयू बिजली पैदा होगी और छत पर स्थापित सौर ऊर्जा प्रणाली के 25 साल के जीवनकाल में 720 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन में कमी आएगी।
अनुमान है कि यह योजना विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, आपूर्ति श्रृंखला, बिक्री, स्थापना, ओ एंड एम और अन्य सेवाओं में लगभग 17 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगी।
पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना का लाभ उठाएं
सरकार ने इस योजना की शुरुआत के बाद से जागरूकता बढ़ाने और इच्छुक परिवारों से आवेदन प्राप्त करने हेतु एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के इच्छुक परिवार https://pmsuryagarh.gov.in पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
*कैबिनेट ने 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों – बेरिलियम, कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, रेनियम, सेलेनियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टाइटेनियम, टंगस्टन और वैनेडियम के खनन के लिए रॉयल्टी दरों को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों – बेरिलियम, कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, रेनियम, सेलेनियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टाइटेनियम, टंगस्टन और वैनेडियम के संबंध में रॉयल्टी की दर निर्दिष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (‘एमएमडीआर अधिनियम’) की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
यह सभी 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद पूरी करता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि सरकार ने 15 मार्च, 2022 को 4 महत्वपूर्ण खनिजों, अर्थात् ग्लौकोनाइट, पोटाश, मोलिब्डेनम और प्लैटिनम समूह के खनिजों की रॉयल्टी दर और 12 अक्टूबर, 2023 को 3 महत्वपूर्ण खनिजों, अर्थात् लिथियम, नाइओबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट की रॉयल्टी दर अधिसूचित की थी।
हाल ही में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 के माध्यम से एमएमडीआर अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों को सूचीबद्ध किया गया था, जो 17 अगस्त, 2023 से लागू हुआ है। संशोधन में प्रावधान किया गया कि इन 24 खनिजों के खनन पट्टे और मिश्रित लाइसेंस की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
रॉयल्टी की दर के निर्देशन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज की मंजूरी से केंद्र सरकार देश में पहली बार इन 12 खनिजों के लिए ब्लॉकों की नीलामी कर सकेगी। ब्लॉकों की नीलामी में बोलीदाताओं के लिए खनिजों पर रॉयल्टी दर एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रतिफल है। इसके अलावा, इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना के लिए खान मंत्रालय द्वारा तरीका भी तैयार किया गया है जो बोली संबंधी मापदंडों के निर्धारण को सक्षम करेगा।
एमएमडीआर अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिए रॉयल्टी दरें प्रदान करती है। दूसरी अनुसूची की मद संख्या 55 में प्रावधान है कि जिन खनिजों की रॉयल्टी दर उसमें विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, उनके लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) का 12 प्रतिशत होगी। इस प्रकार, यदि इनके लिए रॉयल्टी दर विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, तो उनकी डिफॉल्ट रॉयल्टी दर एएसपी का 12 प्रतिशत होगी, जो अन्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की तुलना में काफी अधिक है। साथ ही, 12 प्रतिशत की यह रॉयल्टी दर अन्य खनिज उत्पादक देशों के साथ तुलनीय नहीं है। इस प्रकार, निम्नानुसार उचित रॉयल्टी दर निर्दिष्ट करने का निर्णय लिया गया है:
बेरिलियम, इंडियम, रेनियम, टेल्यूरियम: | उत्पादित अयस्क में निहित संबंधित धातु पर संबंधित धातु के एएसपी का 2 प्रतिशत प्रभार्य है। |
कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, सेलेनियम, टैंटलम (कोलंबाइट-टैंटलाइट के अलावा अन्य अयस्कों से उत्पादित), टाइटेनियम (समुद्र तट रेत खनिजों के अलावा अन्य अयस्कों से उत्पादित):
(i) प्राथमिक
(ii) उप-उत्पाद |
उत्पादित अयस्क में निहित संबंधित धातु पर संबंधित धातु के एएसपी का 4 प्रतिशत प्रभार्य है।
उत्पादित अयस्क में निहित संबंधित उप-उत्पाद धातु पर संबंधित धातु के एएसपी का 2 प्रतिशत प्रभार्य। |
टंगस्टन: | आनुपातिक आधार पर प्रति टन अयस्क में निहित टंगस्टन ट्राइऑक्साइड पर टंगस्टन ट्राइऑक्साइड के एएसपी का 3 प्रतिशत। |
वैनेडियम:
(i) प्राथमिक
(ii) उप-उत्पाद |
आनुपातिक आधार पर प्रति टन अयस्क में निहित वैनेडियम पेंटोक्साइड पर वैनेडियम पेंटोक्साइड के एएसपी का 4 प्रतिशत।
आनुपातिक आधार पर प्रति टन अयस्क में निहित वैनेडियम पेंटोक्साइड पर वैनेडियम पेंटोक्साइड के एएसपी का 2 प्रतिशत। |
देश में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिज अनिवार्य हो गए हैं। कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, सेलेनियम और वैनेडियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज और इनका उपयोग बैटरी, अर्धचालक, सौर पैनल आदि में होता है। ऊर्जा के क्षेत्र में परिवर्तन और 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए इन खनिजों का महत्व बढ़ गया है। बेरिलियम, टाइटेनियम, टंगस्टन, टैंटलम आदि खनिजों का उपयोग नई प्रौद्योगिकियों, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों में होता है। स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करने से आयात में कमी आएगी और संबंधित उद्योगों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की स्थापना होगी। इस प्रस्ताव से खनन क्षेत्र में रोजगार सृजन बढ़ने की भी उम्मीद है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) ने हाल ही में कोबाल्ट, टाइटेनियम, गैलियम, वैनेडियम और टंगस्टन जैसे एक या अधिक महत्वपूर्ण खनिजों वाले 13 ब्लॉकों की अन्वेषण रिपोर्ट सौंपी है। इसके अलावा, ये एजेंसियां देश में इन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की खोज कर रही हैं।
केंद्र सरकार ने नवंबर, 2023 में लिथियम, आरईई, निकेल, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स, पोटाश, ग्लौकोनाइट, फॉस्फोराइट, ग्रेफाइट, मोलिब्डेनम इत्यादि जैसे खनिजों के लिए महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी की पहली किश्त शुरू की है। उद्योग जगत से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। पहली किश्त में कुल 20 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है। नीलामी की पहली किश्त के लिए बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि (बोली हेतु निर्धारित तिथि) 26 फरवरी, 2024 थी।\
*मंत्रिमंडल ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना को मंजूरी दे दी है। एलाएंस का मुख्यालय भारत में होगा और इसे 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 150 करोड़ रुपये की एकमुश्त बजटीय सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने बाघों, बड़ी बिल्ली परिवार की अन्य प्रजातियों तथा इसकी अनेक लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में भारत की अग्रणी भूमिका को महत्त्व देते हुए, वैश्विक बाघ दिवस, 2019 के अवसर पर अपने भाषण में एशिया में अवैध शिकार को रोकने के लिए वैश्विक नेताओं के एलाएंस का आह्वान किया था। उन्होंने 9 अप्रैल, 2023 को भारत के प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे दोहराया और औपचारिक रूप से एक इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस प्रारंभ करने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य बड़ी बिल्लियों और उनके द्वारा फूलने-फलने वाले परिदृश्यों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है। भारत में विकसित अग्रणी और दीर्घकालिक बाघ और अन्य बाघ संरक्षण की श्रेष्ठ प्रथाओं को कई अन्य रेंज देशों में दोहराया जा सकता है।
सात बिग कैट में बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता आते हैं।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस की परिकल्पना 96 बिग कैट रेंज देशों, बिग कैट संरक्षण में रुचि रखने वाले गैर-रेंज देशों, संरक्षण भागीदारों तथा बिग कैट संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक संगठनों के बहु-देशीय, बहु-एजेंसी एलायंस के रूप में की गई है। परिकल्पना में बड़ी बिल्लियों के कार्य में योगदान के इच्छुक व्यावसायिक समूहों और कॉर्पोरेट्स की व्यवस्था के साथ-साथ नेटवर्क स्थापित करने तथा फोकस रूप से तालमेल विकसित करने की व्यवस्था है, ताकि एक सामान्य मंच पर केंद्रीकृत भंडार लाया जा सके, इसे वित्तीय समर्थन प्राप्त हो, जिसका लाभ बड़ी बिल्ली की आबादी में गिरावट को रोकने और इस प्रवृत्ति को बदलने में संरक्षण एजेंडा को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है। यह बिग कैट एजेंडे पर नेतृत्व की स्थिति में रेंज देशों और अन्य को एक सामान्य मंच पर लाने का ठोस कदम होगा।
आईबीसीए का उद्देश्य संरक्षण एजेंडा को आगे बढ़ाने में पारस्परिक लाभ के लिए देशों के बीच आपसी सहयोग करना है। आईबीसीए का दृष्टिकोण व्यापक आधार बनाने तथा अनेक क्षेत्रों में कई गुना लिंकेज स्थापित करने में बहुआयामी होगा और इससे ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता सृजन, नेटवर्किंग, समर्थन, वित्त और संसाधन समर्थन, अनुसंधान तथा तकनीकी सहायता, शिक्षा और जागरूकता में मदद मिलेगी। सतत विकास और आजीविका सुरक्षा के लिए शुभंकर के रूप में बड़ी बिल्लियों के साथ भारत और बिग कैट रेंज देश पर्यावरण लचीलापन और जलवायु परिवर्तन शमन पर बड़े प्रयासों प्रारंभ कर सकते हैं, भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं जहां प्राकृतिक इको-सिस्टम फलते-फूलते रहते हैं तथा आर्थिक और विकास नीतियों में केंद्रीयता प्राप्त करते हैं।
आईबीसीए गोल्ड स्टैंडर्ड बिग कैट संरक्षण प्रथाओं के प्रसार में वृद्धि के लिए एक सहयोगी मंच के माध्यम से तालमेल की परिकल्पना करता है, तकनीकी ज्ञान और धन कॉर्पस के केंद्रीय सामान्य भंडार तक पहुंच प्रदान करता है, वर्तमान प्रजाति-विशिष्ट अंतर-सरकारी प्लेटफार्मों, नेटवर्क और संरक्षण और सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय पहलों को मजबूत बनाता है और हमारे पर्यावरणीय भविष्य को सुरक्षित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में सहायता करता है।
आईबीसीए का दृष्टिकोण ढांचे को व्यापक आधार देने और अनेक क्षेत्रों में कई गुना लिंकेज स्थापित करने में बहुआयामी होगा और इससे ज्ञान साझा करने, क्षमता निर्माण, नेटवर्किंग, समर्थन, वित्त और संसाधन समर्थन, अनुसंधान और तकनीकी सहायता, विफलता बीमा, शिक्षा और जागरूकता में मदद मिलेगी। विभिन्न देशों के ब्रांड एंबेसडर इस अवधारणा को आगे बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगे और युवाओं तथा स्थानीय समुदायों सहित जनता के बीच बिग कैट संरक्षण-अभियान सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहन को बढ़ावा देंगे, जो पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण हितधारक हैं। सहयोगात्मक कार्रवाई उन्मुख दृष्टिकोण और पहल के माध्यम से देश की जलवायु नेतृत्व की भूमिका, हरित अर्थव्यवस्था परियोजनाओं को बढ़ावा देना आईबीसीए प्लेटफॉर्म के माध्यम से संभव है। इस प्रकार, बिग कैट एलायंस के सदस्यों की शक्ति संरक्षण और सक्षम साझेदारों की समृद्धि का रूप बदल सकती है।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस समग्र और समावेशी संरक्षण परिणामों को प्राप्त करने के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ जैव विविधता नीतियों को एकीकृत करने के महत्व को पहचानता है। उपर्युक्त नीतिगत पहलों का समर्थन करते हैं, जो स्थानीय जरूरतों के साथ जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को संरेखित करते हैं और आईबीसीए सदस्य देशों के भीतर संयुक्त राष्ट्र एसडीजी की प्राप्ति में योगदान करते हैं। क्षेत्रीय नीतियों और विकास योजना प्रक्रियाओं में जैव विविधता के विचारों को एकीकृत करने के लिए क्षेत्रों में जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना; कृषि, वानिकी, पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विकास नियोजन प्रक्रियाएं; स्थायी भूमि-उपयोग प्रथाओं, आवास पुनर्स्थापना की पहल और जैव विविधता संरक्षण समर्थक इको-सिस्टम-आधारित दृष्टिकोण हैं जो जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ स्वच्छ जल और गरीबी में कमी से जुड़े सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में योगदान करते हैं।
आईबीसीए गवर्नेंस में सदस्यों की असेंबली, स्थायी समिति और भारत में मुख्यालय के साथ एक सचिवालय शामिल है। समझौते की रूपरेखा (विधान) का प्रारूप मुख्यतः इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) की तर्ज पर तैयार किया गया है और इसे अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति (आईएससी) द्वारा अंतिम रूप दिया जाना है। आईएसए और भारत सरकार की तर्ज पर मेजबान देश समझौता तैयार किया गया। संचालन समिति का गठन संस्थापक सदस्य देशों के नामित राष्ट्रीय फोकल प्वाइंट के साथ किया जाएगा। आईबीसीए असेंबली बैठक के दौरान अपने स्वयं के डीजी की नियुक्ति किए जाने तक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सचिवालय के अंतरिम प्रमुख के रूप में डीजी की नियुक्ति की जाएगी। मंत्री स्तर पर आईबीसीए असेंबली की अध्यक्षता भारत के माननीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा की जाएगी।
आईबीसीए ने पांच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए भारत सरकार की 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्राप्त की है। कोष संवर्धन द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों से योगदान से होगा तथा अन्य उपयुक्त संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और दाता एजेंसियों की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के उपाय किए जाएंगे।
एलायंस प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करता है और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को कम करता है। आईबीसीए बड़ी बिल्लियों और उनके आवासों की सुरक्षा करके प्राकृतिक जलवायु सनियोजन, जल और खाद्य सुरक्षा तथा इन इको-सिस्टम पर निर्भर हजारों समुदायों के कल्याण में योगदान देता है। आईबीसीए पारस्परिक लाभ के लिए देशों के बीच सहयोग स्थापित करेगा और दीर्घकालिक संरक्षण एजेंडा को आगे बढ़ाने में अधिक से अधिक योगदान देगा।